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मां सीता का हरण, श्रीराम ने बालि को मारा

नगर की एतिहासिक रामलीला में रविवार की रात सीता हरण, श्रीराम-सुग्रीव मित्रता व बाली वध लीला हुई। साक्षी बने सैकड़ों दर्शकों ने जय श्रीराम व जय हनुमान के जयकारों से पात्रों का उत्साहवर्धन...

मां सीता का हरण, श्रीराम ने बालि को मारा
हिन्दुस्तान टीम,बलियाMon, 07 Oct 2019 06:30 PM
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नगर की एतिहासिक रामलीला में रविवार की रात सीता हरण, श्रीराम-सुग्रीव मित्रता व बाली वध लीला हुई। साक्षी बने सैकड़ों दर्शकों ने जय श्रीराम व जय हनुमान के जयकारों से पात्रों का उत्साहवर्धन किया।

दृश्य में प्रभु श्रीराम, माता जानकी कुटिया से बाहर बैठे हैं। लक्ष्मण पहरेदार के रूप में खड़े हैं। इस बीच मायावी मारीच स्वर्ण मृग बनकर आस-पास कुलाचें भर रहा है, मां सीता प्रभु श्रीराम से मृगचर्म लाने को कहती हैं। प्रभु श्रीराम मृग को मारने के लिए वन में दूर तक जाते हैं। इसी बीच रावण छल से मां का हरण कर लेता है। रास्ते में जटायु से रावण का युद्ध होता है। रावण जटायु का पंख काट देता है, जिससे वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं।

अगले दृश्य में प्रभु श्रीराम लक्ष्मण जब कुटिया पर पहुंचते हैं तो सीता को नहीं पाकर इधर-उधर खोजते हैं। रास्ते में जटायु से मुलाकात होती है और सीता हरण का पता लगता है। प्रभु श्रीराम व सुग्रीव की मित्रता होती है। प्रभु श्रीराम ने बालि का वध कर दिया। इस बीच बालि-श्रीराम के बीच संवाद भी हुआ। बालि की पत्नी तारा का विलाप देख दर्शकों की आंखें नम हो गयी। इस मौके पर भानु प्रकाश पाण्डेय, राजू, कुंदन पाण्डेय, योगेश पाण्डेय कलयुगी, गोलू पटेल आदि थे।

मारा गया कुंभकर्ण, क्रोध से तिलमिलाया रावण

नगरा। हिन्दुस्तान संवाद

नगरा पुरानी रामलीला समिति की ओर से प्राचीन दुर्गा मंदिर परिसर में रविवार की रात रावण द्वारा कुंभकर्ण को जगाना, विभीषण-कुंभकर्ण संवाद व प्रभु श्रीराम द्वारा कुंभकर्ण वध की लीला हुई।

नींद से जगने के बाद कुंभकर्ण युद्ध के लिये रणक्षेत्र में पहुंचा। विभीषण-कुंभकर्ण को नाना प्रकार से समझाते हुए युद्ध न करने की सलाह देता है। लेकिन कुंभकर्ण प्रभु श्रीराम के साथ युद्ध करता है, जिसमें प्रभु श्रीराम के हाथों उसका वध होता है। भाई के वध का समाचार सुनते रावण क्रोधित हो जाता है। मेघनाथ निकम्भला भवानी का अनुष्ठान करता है। हालांकि विभीषण द्वारा बताये जाने पर इस यज्ञ को वानरी सेना ने ध्वस्त कर दिया। लीला के दौरान दर्शकों के जयश्रीराम के नारे से पूरा क्षेत्र भक्ति में लीन हो गया। लीला में व्यास देवेंद्र पाठक, जयनाथ दास, दीपू, रमेश पाठक, विशाल, शम्भूनाथ पांडेय आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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