पैसा खर्च नहीं करने पर सीएमओ को फटकार
आमतौर पर सरकारी विभागों में पैसा नहीं होने का रोना रोया जाता है। हालांकि इससे उलट स्वास्थ्य विभाग में महीनों से डम्प करोड़ों रुपये खर्च नहीं हो पा रहा है। इसके चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)...
आमतौर पर सरकारी विभागों में पैसा नहीं होने का रोना रोया जाता है। हालांकि इससे उलट स्वास्थ्य विभाग में महीनों से डम्प करोड़ों रुपये खर्च नहीं हो पा रहा है। इसके चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की कई योजनाएं ठप पड़ी हैं। पैसा होते हुए भी कर्मचारियों के मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस मामले को लेकर आला अफसर गंभीर हैं तथा उन्होंने सीएमओ को फटकार लगाते हुए जवाब मांगा है।
स्वास्थ्य विभाग में तकरीबन सभी योजनाएं एनएचएम से ही संचालित होती हैं। विभाग को इस मद में हर साल करोड़ों रुपये शासन की ओर से आंवटित किये जाते हैं। उक्त पैसे से अस्पतालों की स्थापना, संसाधन व दवाओं की खरीदारी, लाभार्थियों का भुगतान तथा एनएचएम के तहत संविदा पर तैनात कर्मचारियों को मानदेय दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये शासन ने जनपद को 44.35 करोड़ रुपये का आंवटन किया। सूत्रों की मानें तो इस धनराशि में से अब तक सिर्फ 20.30 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके है। 15 जनवरी को एसपीएमयू की समीक्षा बैठक में यह मामला प्रकाश में आया तो विभागीय उच्चाधिकारी परेशान हो गये।
जानकारों का कहना है कि एनएचएम के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने 18 जनवरी को सीएमओ (बलिया) से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने सीएमओ के नाम भेजे पत्र में लिखा है कि दिसम्बर माह तक एनएचएम के तहत आंवटित पैसे में से सिर्फ 45.79 प्रतिशत ही खर्च हो सका है। उन्होंने यह भी लिखा है कि इस मामले में बलिया प्रदेश के 75 जिलों में सबसे नीचे है। निदेशक ने इस पर आपत्ति जताते हुए सीएमओ से स्पष्टीकरण मांगा है।