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बहराइच में गांव की सोंधी मिट्टी का अहसास कराती हैं वेदमित्र की कहानियां

वेदमित्र शुक्ल की कहानियां गांव की सोंधी मिट्टी की महक का अहसास कराती हैं। कहानियां पढ़ते समय पाठक को उसके पात्र अपने इर्द-गिर्द के गांवों में नजर आने लगते हैं। उनकी भाषा प्रवाहमयी है और उसमें...

बहराइच  में गांव की सोंधी मिट्टी का अहसास कराती हैं वेदमित्र की कहानियां
हिन्दुस्तान टीम,बहराइचSun, 27 Sep 2020 03:00 AM
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वेदमित्र शुक्ल की कहानियां गांव की सोंधी मिट्टी की महक का अहसास कराती हैं। कहानियां पढ़ते समय पाठक को उसके पात्र अपने इर्द-गिर्द के गांवों में नजर आने लगते हैं। उनकी भाषा प्रवाहमयी है और उसमें इस्तेमाल होने वाले देशज शब्द कहानी में अपनापन का भाव जगाते हैं। उनकी कहानियां पाठकों की जिज्ञासा बनाए रखने में सफल रही हैं। आगे क्या होगा इस जिज्ञासा को लेकर पाठक बिना ठिठके कहानी को अन्त तक पढ़ता है। कहानी ही नहीं वरन हिन्दी साहित्य की लगभग सभी विधाओं में अनवरत उनकी कलम चल रही है। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर उनका बराबर अधिकार है। खास बात यह है कि अंग्रेजी का विद्वान होने के बावजूद भी वह हिन्दी में साहित्य सृजन कर रहे हैं।

वेदमित्र शुक्ल का जन्म बहराइच के मोहल्ला ब्राह्मणीपुरा में पं. गुलाब चन्द्र शुक्ल के यहां वर्ष 1980 में हुआ था। उन्होंने केडीसी से स्नातक और गोंडा से डिग्री कालेज से परास्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद जेएनयू नई दिल्ली के अंग्रेजी अध्ययन केंद्र भर्तृहरि के वाक्यपदीयम को केन्द्र में रखते हुए पाश्चात्य और भारतीय काव्य शास्त्र से जुड़े विषयों में एमफिल और पीएचडी किया। वर्तमान में वह दिल्ली विश्व विद्यालय के राजधानी महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक के रूप में सेवा कर रहे हैं।

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