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नेपाल के पहाड़ी इलाकों में चोरी से होती है अफीम की खेती

नेपाल में इसी सप्ताह दस किग्रा अफीम के साथ नेपाली मादक पदार्थ तस्करों को नेपाली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। निस्संदेह अफीम की यह बड़ी खेप थी। जिसे भारतीय इलाके में लाकर हशीश के तस्करों को डिलीवरी दी...

नेपाल के पहाड़ी इलाकों में चोरी से होती है अफीम की खेती
हिन्दुस्तान टीम,बहराइचTue, 22 Sep 2020 11:42 PM
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नेपाल में इसी सप्ताह दस किग्रा अफीम के साथ नेपाली मादक पदार्थ तस्करों को नेपाली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। निस्संदेह अफीम की यह बड़ी खेप थी। जिसे भारतीय इलाके में लाकर हशीश के तस्करों को डिलीवरी दी जानी थी। नेपाल में गाहे बगाहे अफीम की बरामदगी ने खुफिया महकमे को चौकन्ना कर दिया है। नेपाल में अफीम आखिर आ कहां से रही है। जबकि यह सिलसिला लगभग 15 वर्षों से चल रहा है। नेपाल में माओवादी हिंसा के दौरान नेपाल से अफीम की तस्करी का चला सिलसिला अभी थमा नहीं है।

दरगाह थाने की पुलिस ने वर्ष 2005 में पहली बार असोम रोड पर बाइक सवार दो भारतीय तस्करों के पास से पांच किग्रा अफीम बरामद की थी। उन दिनों नेपाल में माओवादी हिंसा अंतिम चरण में थी। अफीम की इस बड़ी बरामदगी से खुफिया महकमा इस लिए चौकन्ना हुआ कि नेपाल में अफीम की खेती नहीं होती है, फिर आखिर तस्करों को नेपाल में अफीम कहां मिली। यह विपरीत धारा में बहने वाला जल प्रवाह की तरह था। उसके बाद फिर हर वर्ष अफीम की बरामदगी कभी भारत में तो कभी नेपाल में होती रही। माओवादी हिंसा के दौरान नेपाल के ग्रामीण इलाकों की पुलिस चौकी व थाने हटाकर एक ही जगह सेना व पुलिस का कैम्प चल रहा था। उसी दौरान नेपाल के दांग, दैलेख, सुर्खेत के दुर्गम पर्वतीय इलाकों में गुपचुप रूप से अफीम की अवैध खेती की शुरुआत हुई।

तस्कर इसे काला सोना कहते हैं। इसका मूल्य अन्तरराष्ट्रीय मार्केट में 30 लाख रुपए प्रति किग्रा के आसपास है। आतंकी गतिविधियों से जुड़े संगठन भी अफीम की तस्करी से जुड़े है। यही वजह थी कि नेपाल से भारत को अफीम की तस्करी चौंकाने वाली कड़ी रही, तो नेपाल के पर्वतीय इलाकों में गुपचुप रूप से उत्पादित अफीम की तस्करी चिंतनीय पहलू रहा है।

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