बहराइच-मधुमेह से पीडित 10% मरीज टीबी बीमारी से भी ग्रसित
Bahraich News - बहराइच के विशेषज्ञों ने बताया है कि मधुमेह से पीड़ित मरीजों में टीबी का खतरा बढ़ जाता है। लगातार खांसी के मामलों में टीबी की जांच अनिवार्य की गई है। अस्पतालों में दोनों बीमारियों की स्क्रीनिंग की जा...

बहराइच, प्रदीप तिवारी। अगर आप मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित हैं और तमाम इलाज के बावजूद बीमारी से राहत नहीं मिल रही है तो आपको टीबी की जांच करवानी चाहिए। क्योंकि मधुमेह से पीड़ित मरीजों में टीबी का खतरा हो सकता है। यह खुलासा शुगर से पीड़ित मरीजों में लगातार खांसी से पीड़ित होने पर चिकित्सकों की ओर से कराई गई जांच से हुआ है। टीबी और डायबिटीज के कांबिनेशन को देखते हुए अस्पतालों में दोनों बीमारियों की जांच को विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं। अब टीबी या मधुमेह से पीड़ित कम उम्र के मरीजों में दोनों की ही बीमारियों की जांच अनिवार्य रूप से कराया जा रहा है। जिले के टीबी अस्पताल के विशेषज्ञों के मुताबिक डायबिटीज में शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता घट जाने से मरीजों में टीबी की आशंका चौगुनी हो जाती है। खासकर तब यह आशंका बढ़ जाती है जब डायबिटीज मरीज का ठीक ढंग से इलाज नहीं हो पाता है। डॉ एमएल वर्मा बताते हैं कि अस्पताल में टीबी के लक्षणों की शिकायत लेकर आए मरीजों में ब्लड-शुगर की भी जांच की जा रही है। 10 फीसद ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें मरीज टीबी के साथ डायबिटीज से भी पीड़ित हैं। इसीलिए डायबिटीज और टीबी की जांच अनिवार्य रूप से कराया जा रहा है। डॉ पवन वर्मा बताते हैं कि टीबी यानी ट्यूबरक्यूलोसिस बैक्टीरियल संक्रमण है, जो फेफड़े को प्रभावित करता है। यह शरीर के भीतर वर्षों तक छिपा रहता और किसी बीमारी के कारण इम्यून सिस्टम के कमजोर पड़ते ही सक्रिय हो जाता है। स्मोकिंग, अल्कोहल, ड्रग्स, संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क और कई तरह की बीमारियां जैसे डायबिटीज, एचआईवी और कैंसर, टीबी के लिए रिस्क फैक्टर का काम करती हैं। समय से बीमारी की पुष्टि होने पर बीमारी से बचा जा सकता है, लेकिन इलाज में देरी घातक हो सकती है।
सरकारी अस्पतालों में स्क्रीनिक की सुविधा
सीएमओ डॉ संजय कुमार शर्मा बताते हैं कि जिले के सीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर टीबी और मधुमेह की स्क्रीनिंग की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान में दोनों रोगियों के सामने आने की वजह भी यही है कि अब उन्हें गांव स्तर पर ही बीमारी की जानकारी समय से हो जा रही है। समय से इलाज होने से बीमारी से राहत भी मिल रही है। जागरूकता कार्यक्रमों के दौरान लोगों को इसकी जानकारी भी दी जा रही है।
डायबिटीज किसी भी उम्र में संभव
चिकित्सकों का कहना है कि टाइप वन डायबिटीज ऑटो-इम्यून बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। वहीं, टाइप टू जेनेटिक बीमारी है जो मुख्यत: बड़ी उम्र में देखी जाती है। बहुत प्यास एवं भूख लगना, थकान, दृष्टि में धुंधलापन, पैरों में सिहरन, वजन एकाएक कम होना एवं जल्दी-जल्दी पेशाब लगना, लो एवं हाई ब्लड-शुगर में लक्षण अलग-अलग होते हैं।
टीबी और डायबिटीज में गहरा संबंध
जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ परितोष तिवारी बताते हैं कि अब कमजोर इम्यूनिटी के समान्य कारणों में डायबिटीज सबसे बड़ा कारण बन गई है, जिसकी वजह से टीबी का खतरा भी बढ़ जाता है। बुखार और खांसने पर खून आना, आम लोगों के मुकाबले डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा आम है।आमतौर पर अन्य अंगों की तुलना में फेफड़ों की भागीदारी, मधुमेह के साथ टीबी में देखी जाती है।
कोट
टीबी के मरीजों की अनिवार्य रूप से शुगर की भी जांच कराई जा रही है। 10 फीसद रोगी दोनों बीमारी से पीड़ित मिल रहे हैं। ऐसे में सिर्फ टीबी का इलाज करने से बीमारी ठीक नहीं हो सकती है। शुगर नियंत्रित करना जरूरी है।
डॉ एमएल वर्मा, जिला क्षय रोग अधिकारी, बहराइच
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