बोले बहराइच:वाह री व्यवस्था! स्कूल जाने को रास्ता न सुरक्षित स्कूल भवन
Bahraich News - बेटियों की शिक्षा को लेकर कई दावे किए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। पयागपुर के मामराज बालिका इंटर कॉलेज में जलभराव और जर्जर भवनों की स्थिति छात्राओं की पढ़ाई में बाधा डाल रही है। सड़कें...

बेटियों की शिक्षा को तमाम दावे व आंकड़े समय-समय पर प्रस्तुत हो रहे हैं। लेकिन धरातल पर दावे धराशाई दिख रहे तो आंकड़े हवा-हवाई। बानगी के तौर पर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर पयागपुर के मामराज बालिका इंटर कॉलेज को ही लें। मानसून सत्र इस स्कूल में पंजीकृत छात्राओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। स्कूल जाने वाले रास्ते पर घुटने तक जलभराव है तो स्कूल के जिस भवन में छात्राएं ज्ञानार्जन करती हैं उसकी छत ही नहीं टपक रही बल्कि दीवारों पर पड़ी दरारें दावा करने वाले अधिकारियों की हकीकत की तस्वीर को बयां करती हैं। यह तो सिर्फ बानगी है 50 ऐसे राजकीय व बेसिक स्कूल हैं जहां तक जाने के लिए रास्ता है न बच्चों के पढ़ने वाले भवन ही सुरक्षित हैं।
यह हाल तब है जब बहराइच प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिले में शामिल है। नीति आयोग शैक्षिक सूचकांक को बढ़ाने के लिए बजट व इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दे रहा है। े स्कूलों के कायाकल्प को लेकर नीति आयोग भी गंभीर है। बेसिक स्कूलों के साथ राजकीय स्कूलों की दशा सुधारने के लिए प्रोजेक्ट अलंकार योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत न केवल भवनों की सूरत बदली जा रही है। पठन-पाठन समेत अन्य समस्या को दूर कराने के निर्देश दिए गए हैं जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा हासिल हो सके। बेशक आयोग की पहल का परिणाम स्कूलों में दिख रहा है, लेकिन अभी भी कई ऐसे स्कूल हैं जिनकी तस्वीर नजरअंदाजी गवाही दे रही है। भवन जर्जर हैं। बारिश की हर बूंद कक्ष में लगे श्यामपट पर पड़ी मटियाई लकीर व भीगे फर्श व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। शिक्षक भी व्यवस्था का हवाला देकर जैसे-तैसे कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। उनका कहना है कि सिर्फ उच्चाधिकारियों को पत्र व प्रस्ताव भेजकर अवगत कराया जा सकता है। कार्य कराना व बजट आवंटित करना शासन-प्रशासन का काम है। सरकारी व्यवस्था के फेर में हजारों बच्चे हर दिन जिंदगी दांव पर लगाकर शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं। समय-समय पर अभिभावक भी बदहाल भवन का मामला राजनीतिक पटल पर उठाते हैं, लेकिन आश्वासनों में ही जर्जर भवनों की मरम्मत व रास्ते के निर्माण का दावा अटका हुआ है। स्कूल जाने वाले पंथ बदहाल, जलभराव से स्कूल नहीं जा पाती छात्राएं : राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नवाबगंज में 150 छात्रों का पंजीकरण है। इस विद्यालय तक पहुंचने वाला रास्ता कच्चा मार्ग है। मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे हैं। बरसात में इन गड्ढों व पूरी सड़क पर पानी भर जाता है। जिससे छात्राओं को विद्यालय पहुंचने में बड़ी परेशानी होती है। बरसात के अलावा अन्य दिनों में भी इस रास्ते से निकलना कठिन हो गया है। कालेज की प्रधानाचार्या प्रीति झा ने बताया कि छात्राओं को कालेज तक पहुंचने के लिए कच्चे मार्ग पर जलभराव से आवागमन में परेशानी हो रही है। थोड़ी सी बरसात हो जाती है तो काफी संख्या में छात्राएं विद्यालय नहीं पहुंच पाती हैं। ये हाल पूरे बरसात भर रहता है। जब तक रास्ता सूख नहीं जाता है तब तक समस्या बनी रहती है। उन्होंने स्कूल के रास्ते को बनवाने की मांग की है। इसके अलावा आस-पास गंदगी का अंबार लगा रहता है। इससे भी छात्राओं को परेशान होना पड़ता है। तालाब पट जाने से होता है जलभराव : मामराज राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नूरपुर पयागपुर विद्यालय के बगल बने तालाब पट जाने के कारण बारिश के दिनों में स्कूल प्रांगण में ही पानी भर जाता है। जिससे छात्राओं व शिक्षकों को आने-जाने में असुविधा झेलनी पड़ती है। क्योंकि बारिश का पानी निकलने के लिए कोई अन्य सुविधा नहीं है। लोगों का कहना है कि पानी का निकास हो जाए तो समस्या से निजात मिल सकती है। कॉलेज की प्रधानाचार्या ने बताया कि शिक्षण कार्य के अलावा विद्यालय में व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत सिलाई-कढ़ाई एवं ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण छात्राओं को कराया जाता है। साथ ही साथ आत्मरक्षा, स्काउट गाइड का भी प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। बच्चियों को स्मार्ट पैनल पर शिक्षा प्रदान कराई जाती है। कंप्यूटर प्रशिक्षण की प्रारंभिक गतिविधि भी कराई जाती है। इसके अलावा विद्यालय में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री विद्यालय में उपलब्ध है। छात्राओं को प्रतिदिन खेल कूद कराया जाता है। जर्जर भवन में शिक्षक गढ़ रहे मेधावियों का भविष्य मामराज राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नूरपुर पयागपुर विद्यालय की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। बाहर से तो ये विद्यालय कुछ ठीक ठाक दिखाई देता है अन्दर से उतना ही बदसूरत नजर आता है। इस विद्यालय में 10 शिक्षण कक्ष बने हुए हैं जिनमें से ज्यादातर कक्ष जर्जर अवस्था में हो गए हैं। बरसात के दिनों में पानी रिसाव व किसी किसी कमरों में बारिश के दौरान छत भी टपकती है। विद्यालय की खिड़कियों में लगे शीशे टूटे हुए हैं जाली भी टूटी हुई है। दीवारों का प्लास्टर टूट रहा है। फील्ड में भीषण जलभराव होता है। जो कई दिनों तक पानी नहीं निकलता है। छात्राएं कीचड़ में निकलने को विवश होती हैं। यही नहीं बालिकाओं को विद्यालय तक आने के लिए अनेक प्रकार की समस्या उठानी पड़ती है। कॉलेज आने वाला मार्ग ध्वस्त होने की वजह से बारिश के दिनों में जलभराव की स्थिति ज्यादा रहती है। इस मार्ग पर छात्राओं को निकलना मुश्किल हो जाता है। मार्ग के आस-पास रह रहे लोगों की वजह से भी समस्या और विराल हो गई है। क्योंकि इस मार्ग पर स्थानीय लोग शौच कर गंदगी फैला देते हैं, जो ज्यादा समस्या का कारण बनती है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में पढ़ाई का माहौल बेहतर होने के कारण नियमित रूप से छात्राएं विद्यालय आती हैं। लेकिन बरसात में जलभराव की समस्या होने के चलते पठन-पाठन में दिक्कत होती है। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते समस्या समाधान नहीं हो रहा है। गांव के लोग शिक्षक और बच्चे के खतरे में पड़ने की आशंका को देखते हुए भवन की मरम्मत कराने, रास्ते को बनवाने व जलभराव की समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन इसमें अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को इस भवन में पढ़ाने की मजबूरी है। समस्या से निजात मिल जाए तो संभावित कुछ तो खतरे के भय से निजात मिल जाए। क्योंकि बरसात के दिनों में इस भवन में बैठकर पढ़ाई करने से छात्राओं की हमेशा चिंता बनी रहती है। बारिश में छात्राएं कीचड़ व पानी झेलकर विद्यालय पहुंचना उनकी मजबूरी है। जिले के किसी विद्यालयों में फर्स्ट एड की सुविधा नहीं बहराइच। जिले के किसी भी सरकारी विद्यालय चाहे वह प्राथमिक विद्यालय हों, जूनियर हाईस्कूल हों या इंटर कॉलेज से लेकर डिग्री कॉलेज तक। किसी भी स्कूल व कॉलेज में फर्स्ट एड की सुविधा नहीं है। अभिभावक धर्मेश शर्मा, रामबरन शर्मा, लवकुश, जितेन्द्र यादव, नवल किशोर, धमेन्द्र आदि का कहना है कि अगर विद्यालय में फस्ट एड की सुविधा रहती तो कभी चोट-चपेट या बच्चों को अस्पताल ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती और उन्हें भी सहूलियत होती। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में फर्स्ट एड किट में उपलब्ध रहने वाले डिटॉल, रूई, कॉटन, थर्मामीटर आदि तो होना ही चाहिए जिससे जरूरत पड़ने पर अस्पताल न भागना पड़े। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी विद्यालयों में बच्चों के खेलने कूदने आदि की सुविधा प्रदान की जा रही है। खेलते समय बच्चों के शरीर में चोट या छिलने आदि की कभी-कभी समस्या आ जाती है। ऐसे में फर्स्ट एड की व्यवस्था हो जाए तो आसानी से इलाज हो सकता है। लेकिन ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों में छात्रों को बड़ी दिक्कत होती है। उन्हें मरहम-पट्टी कराने के लिए शिक्षक या अभिभावक को दूर जाना पड़ रहा है। शिक्षकों का भी कहना है कि बच्चों को खेलने-कूदने की सुविधा दी जाती है। इस दौरान सभी विद्यालयों में बच्चे गिरकर चोटिल होते रहते हैं। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत प्राथमिक विद्यालयों में होती है। कक्षा 1 से 5 तक में पढ़ने वाले छोटे बच्चे होते हैं। वह गिर जाते हैं। कहीं कट-छिल जाता है तो रोने लगते हैं। ऐसे में उन्हें तुरंत इलाज की आवश्यकता पड़ती है। अगर इस तरह की दिक्कत आती है, तो हम लोग अभिभावक को सूचना देते हैं। आस-पास अगर प्राथमिक चिकित्सका की सुविधा उपलब्ध है, तो बच्चों को दी जाती है, अन्यथा अभिभावक के साथ उन्हें भेज दिया जाता है। बच्चों को घायल देख नाराज होते हैं। बच्चे अगर किसी तरह से चोटिल हो जाते हैं, तो अभिभावक विद्यालय में आकर नाराजगी जाहिर करते हैं। बैंडेज-पट्टी कराने के बाद भी उनके द्वारा सवाल किए जाते हैं। ऐसे में हमलोग अभिभावक के साथ बच्चों को भेजना बेहतर समझते हैं। भवन व जलभराव आदि विद्यालय में जो भी समस्याएं हैं उनका समाधान कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। सबसे ज्यादा समस्या खराब सड़क को लेकर है। कॉलेज को आने वाली रोड ध्वस्त होने की वजह से छात्राओं व शिक्षकों को स्कूल पहुंचने में बड़ी दिक्कत हो रही है। तमाम शिकायत के बाद सड़क की पैमाइश लगभग 4 महीने पूर्व हो चुकी है, किंतु अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है। वर्षा गौतम, प्रधानाचार्या, मामराज राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नूरपुर पयागपुर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नवाबगंज को जाने वाला मार्ग कच्चा है। बारिश के दिनों में इस मार्ग पर पानी भर जाता है। पानी न निकलने की वजह से स्कूल नहीं जा पाती हूं। -शाहिना राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नवाबगंज जाने के लिए अच्छी सड़क नहीं है। जिला प्रशासन को चाहिए कि स्कूल जाने वाले मार्गों को प्राथमिकता के साथ बनवाए। -शामा खराब सड़कों के कारण स्कूल पहुंचने में अधिक समय लगता है, जिससे पढ़ाई और अन्य गतिविधियों पर असर पड़ता है। -सेजल श्रीवास्तव खराब सड़कों के कारण धूल और प्रदूषण होता है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं कि धूल व गंदगी से सेहत खराब हो जाता है। -अंजू यादव सड़कों की मरम्मत और नवीनीकरण आवश्यक है। बारिश के पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण हो। प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देना होगा। -शायना सिद्दीकी
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