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बहराइच: अब सट्टे में शामिल नहीं होगा रेड रॉट प्रभावित गन्ना

रेड राट यानी लाल सड़न का रोग गन्ने के कैंसर के रूप में जाना जाता है। गन्ने में वर्षा काल के दौरान इस रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है। यह रोग गन्ने में बीज के माध्यम से फैलता है। ऐसी गन्ना...

बहराइच: अब सट्टे में शामिल नहीं होगा रेड रॉट प्रभावित गन्ना
हिन्दुस्तान टीम,बहराइचMon, 28 Sep 2020 10:43 PM
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रेड राट यानी लाल सड़न का रोग गन्ने के कैंसर के रूप में जाना जाता है। गन्ने में वर्षा काल के दौरान इस रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है। यह रोग गन्ने में बीज के माध्यम से फैलता है। ऐसी गन्ना प्रजातियां जो लम्बे समय से किसानों की ओर से बोई जा रही हैं। उनमें अनुवांशिक प्रभाव होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इससे इन प्रजातियों में रेड-रॉट बीमारी की आशंका भी बढ़ जाती है।

गन्ना विभाग ने किसानों को इस रोग पर अंकुश को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि अगले साल से रेड राट प्रभावित खेतों में बोए गए गन्ने को सट्टे में शामिल नहीं किया जाएगा। यही नहीं इस आशय के सुझाव भी प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी की ओर से जारी कर दिए गए हैं।

किसान खेत में रेड-रॉट से प्रभावित पौधे गन्ने की पेड़ी न रखें। फसल चक्र के तहत गर्मी के मौसम में प्रभावित गन्ने के खेत की गहरी जुताई करें, और बरसात के समय में धान की रोपाई की जाए। शरद काल में गन्ने के साथ प्याज की सह फसली खेती करना चाहिए। ऐसा करने से गन्ने की औसत उपज भी बढ़ेगी। प्याज में मौजूद एलिक प्रोपाइल डाई सल्फाइड की गंध कीटनाशक का कार्य करती है, जिससे अंकुर बेधक व जड़ बेधक का नियंत्रण हो जाता है। शरद काल में गन्ने के साथ लहसुन की खेती भी अच्छी है।

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गन्ने की नई प्रजातियों की बुआई करें किसान

बहराइच। जिला गन्ना अधिकारी शैलेष कुमार मौर्य के इस बीमारी से गन्ने की फसल में बहुत अधिक नुकसान होता है। इस बचने को लेकर वैज्ञानिकों का सुझाव है कि कम से कम 40 फीसदी गन्ना क्षेत्रफल में को .0238 के स्थान पर किसानों को नई अगेती गन्ना प्रजातियां जैसे को -0118, को शा.08272, को.98014 आदि की बुवाई करना होगा। इसके साथ ही किसान किसी खेत में गन्ने के रोग ग्रस्त होने पर उसमे गन्ना न बोकर अन्य फसलों के साथ फसलचक्र पद्धति को अपनाएं। सितम्बर तक कड़ी निगरानी व कल्ले निकलने की अवस्था में रेड-रॉट रोग बढ़ने पर प्रभावित पौधे को निकाल कर नष्ट कर दें और बची फसल पर सिस्टमेटिक फंजीसाइड-कारबेन्डाजिम, थियोफैनेटेमेथाइल आदि का प्रयोग हर माह के अंतराल पर करना जरूरी है।

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20 फीसदी रोग वाले खेत में गन्ने की कटाई कर दें

बहराइच। किसानों को 20 फीसदी रेड-रॉट रोग से प्रभावित खेत से गन्ने की तत्काल कटाई कर देना चाहिए, और प्रभावित खेतों की गहरी जुताई कर गन्ने के ठूठों को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए। गन्ने की बुवाई के लिए पौधशालाओं में स्वस्थ सिंगल बड से गन्ना बीज पैदा करने और सिंगल बड सैटस कारबेन्डाजिम के 2 ग्राम प्रति लीटर घोल में बुवाई से पूर्व आधे घंटे तक डुबाने के बाद ही गन्ने की बुआई करें। इसके साथ ही ट्राईकोडर्मा कल्चर फोरटीफाइड ऑर्गेनिक का प्रयोग भी गन्ने को इस रोग से बचाएगा। जिन क्षेत्रों में नम, गर्म वायु बीज उपचार संयंत्र उपलब्ध है, वहां बीज उपयंत्रों से शोधन के बाद ही बुआई करें। शोधन के दौरान नम गर्म वायु उपचार संयंत्र में पूरे गन्ने या दो या तीन आंख के टुकड़े जालीदार ट्रे में रख शोधित करते हैं। संयंत्र में भाप व हीटर के माध्यम से तापमान 54 डिग्री सेंटीग्रेड व आद्र्रता 99 प्रतिशत रखकर ढाई घंटे तक बीच गन्ने का शोधन किया जाता है।

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इस रोग से प्रभावित क्षेत्रों में बीज बदलाव के लिए माइक्रोप्लान तैयार कर लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। यदि रेड रॉट प्रभावित खेतों में अगले वर्ष भी गन्ना बोया जाता है, तो उसको सट्टों में शामिल नहीं किया जाएगा। बुवाई के लिए प्रमाणित बीज का प्रयोग करने के लिए किसानों में स्वस्थ गन्ना बीज का उत्पादन एवं वितरण भी कराया जाएगा।

शैलेष मौर्य, जिला गन्ना अधिकारी

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