बहराइच। हिन्दुस्तान संवाद
सर्दी अपने शबाब पर पहुंच रही है। इन दिनों रात के तापमान में भारी गिरावट आती है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को सिर छिपाने के लिए छत की जरूरत पड़ने लगी है। लगभग 40 लाख आबादी वाले जिले में प्रशासन ने सिर्फ चार रैन बसेरे बनवाए हैं, किन्तु इनमें पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। किसी सार्वजनिक स्थल पर भी अलाव के इंतजाम हुए हैं। जिससे गरीबों को खुले आसमान के नीचे ठिठुरन में रात गुजारनी पड़ती है। सबसे ज्यादा परेशानी मेडिकल कॉलेज में तीमारदारों को हो रही है,जो खुले आसमान के नीचे लेटकर सर्द भरी बेबसी की रात बिता रहे हैं।
शहर में मेडिकल कॉलेज व रोडवेज बस स्टेशन पर रैन बसेरा बनाया गया है। इसके अलावा एक रुपईडीहा के ग्राम सचिवालय व कैसरगंज में रोडवेज के पास रैन बसेरा बनवाया गया है। हिन्दुस्तान ने रविवार की रात रैन बसेरों का जायजा लिया, तो जिला प्रशासन की ओर से इनमें किए गए इंतजामों की पोल खुल गई। मेडिकल कॉलेज के वार्ड नम्बर एक के रैन बसेरे में कोई इंतजाम नहीं मिले। यहां न ओढ़ने के लिए कुछ था और न ही बिछाने के लिए। इसमें तीन तीमारदार फर्श पर लेटे पाए गए। पूछने पर लोगों ने बताया कि उन्हें अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई है। इसके अलावा इमरजेंसी कक्ष के सामने व परिसर में लगे पीपल के पेड़ के नीचे कई तीमारदार सोते मिले। तीमारदारों को जमीन पर ठिठुरन में रात गुजारनी पड़ी। लगातर बढ़ती ठंड से खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है।
महिला अस्पताल के रैने बसेरे में इंतजाम तो किए गए हैं, किन्तु यहां भी तीन व्यक्ति सोते मिले। शेष बिस्तर खाली पड़े थे। यहां कोई गार्ड या कर्मचारियों की तैनाती नहीं है। इसके अलावा रोडवेज बस स्टैण्ड परिसर में टिनशेड में बनाए गए रैन बसेरे में भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। सिर्फ कहने के लिए है कि रैन बसेरा चालू है। रोडवेज बस स्टेशन पर हर रात भारी संख्या में विभिन्न महानगरों से लोग पहुंचते हैं। बाहर से आने वाले मजदूर पेशा लोग यदि 40 से 50 की संख्या में रैन बसेरे में पहुंच जाएं तो इसमें से आधे लोगों को बैठने की भी जगह नहीं मिलेगी। नगर पालिका की ओर से शहर में सिर्फ दो रैन बसेरे चालू कराए गए हैं। दोनों में सिर्फ 40 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज में दर्जनों की संख्या में लोग खुले में रात बिताते हैं।
सूने पड़े रुपईडीहा व कैसरगंज के रैन बसेरे
बहराइच। इण्डो-नेपाल बार्डर स्थित रुपईडीहा में ग्राम सचिवालय में रैन बसेरा बनाया गया है। यहां लगभग 50 लोगों के रहने की व्यवस्था है। इसके अलावा कैसरगंज में रोडवेज स्टैण्ड के पास एक सरकारी भवन में रैन बसेरा बनाया गया है जहां 6 व्यक्तियों के रुकने की व्यवस्था है। यहां ड्यूटी पर मौजूद संग्रह अनुसेवक ऐश मोहम्मद ने बताया कि अब तक कई लोग यहां ठहर चुके हैं। जब उनके रुकने वाले लोगों का व्यौरा मांगा गया, तो वह कुछ भी नहीं दे सके। इसके अलावा नानपारा, मिहींपुरवा, पयागपुर, महसी आदि जगहों पर एक भी रैन बसेरे नहीं है, जहां जरूरतमंदों को रात गुजारने के लिए बैठने का स्थान मिल सके।
नानपारा में नहीं चालू हुआ रैन बसेरा
नानपारा। मुख्य मन्त्री ने ठण्ड से बचाव के लिए उत्तर प्रदेश मे रैन बसेरा चालू होने की बात कह रहे हैं। जबकि नानपारा में अभी तक ठण्ड बढ़ जाने के बाद भी अभी तक बसेरा चालू नहीं हुआ है। जिसकी वजह से विभिन्न गांवों से नानपारा तहसील मुख्यालय पहुंचने वाले लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। कस्बे स्थित नगर पालिका के मैरेज हाल में देखा गया, तो वहां पुलिस बल के जवान अपना कब्जा जमाए है। नगर पालिका के हाल में अभी तक ताला लगा हुआ है। रैन बसेरा न होने से बाहर से आए ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस सम्बन्ध में अधिशाषी अधिकारी अशोक तिवारी कहते है कि रैन बसेरा की व्यवस्था की रही है।
अलाव जलाने के भी नहीं हो सके इंतजाम
बहराइच। ठण्ड बढ़ गई है किन्तु जिले में अभी तक अलाव की व्यवस्था अभी नहीं हो सकी है। हर वर्ष प्रशासन की ओर से सैकड़ों स्थानों पर अलाव जलवाने का दावा करता है, किन्तु यह सभी दावे कागजों में ही सिमट कर रह जाते हैं। जहां जलते भी हैं वहां सिर्फ नाम मात्र के लिए।
कोट
मेडिकल कॉलेज स्थित महिला अस्पताल परिसर में नगर पालिका की तरफ से रैन बसेरा चालू कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने इसका उद्घाटन किया था। जरूरत पड़ने पर और व्यवस्था की जाएगी।
डॉ.हीरा लाल, प्रभारी सीएमएस मेडिकल कॉलेज
कोट
शहर में दो रैन बसेरे चालू किए गए हैं। दोनों में 40 लोगों के रुकने की व्यवस्था है। जरूरत के हिसाब से और व्यवस्था कराई जाएगी।
पवन कुमार, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद बहराइच