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...जब चौधरी साहब ने पूछा, कब आना है कॉलेज की नींव रखने

भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह राजनीति के ही धुरंधर नहीं थे बल्कि उन्हें शिक्षा के अलख जगाने वाले पंडित भी कहा जाता है। उन्होंने मेरठ-बागपत क्षेत्र में राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के...

...जब चौधरी साहब ने पूछा, कब आना है कॉलेज की नींव रखने
हिन्दुस्तान टीम,बागपतWed, 20 Mar 2019 11:24 PM
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भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह राजनीति के ही धुरंधर नहीं थे बल्कि उन्हें शिक्षा के अलख जगाने वाले पंडित भी कहा जाता है। उन्होंने मेरठ-बागपत क्षेत्र में राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के प्रचार-प्रसार में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। वर्ष 1975 में उन्होंने रासना के न्यादर सिंह परिवार से घनिष्ठ पारिवारिक संबंध होने की वजह श्री शालिगराम शर्मा स्मारक डिग्री कालेज की नींव भी रखी थी।

बता दें कि चौ. चरण सिंह वर्ष 1936 में न्यादर सिंह के साथ ही जिला परिषद के सदस्य चुने गये थे। बाद में पारिवारिक घनिष्ठता के चलते ही चौधरी चौधरी जब राजनीति के शिखर पर थे, तब उन्होंने न्यादर सिंह के पुत्र ओमप्रकाश त्यागी को बीकेडी से विधान परिषद उप्र का सदस्य बनवाया था। तब से लेकर आज तक दोनों परिवारों के बीच प्रगाढ़ संबंध बरकरार है।

चौधरी चरण सिंह का जन्म भले ही गाजियाबाद के नूरपुर गांव में हुआ हो लेकिन उनका बाल्यकाल जानी ब्लाक के ग्राम भूपगढ़ी बीता। इसी वजह से उनका अक्सर रोहटा ब्लाक के रासना गांव में न्यादर सिंह के परिवार से प्रगाढ़ संबंध बना रहा। न्यादर सिंह जहां क्षेत्र में शिक्षा की ज्योति जलाने से सबसे आगे रहे वहीं चौधरी चरण सिंह भी राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस तरह के पुराने किस्से हिन्दुस्तान से जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर प्रदीप त्यागी ने साझा की।

उन्होंने बताया कि चौधरी साहब, की कोई सानी नहीं रही। उन्होंने जहां राजनीति कर्मभूमि के रूप में मेरठ जनपद अब बागपत को चुना हुआ वहीं यहां की जनता ने भी उन्हें खूब प्यार और सम्मान देने का काम किया। वह ऊंच, नीच और जाति में विश्वास नहीं करते थे। यही वजह है कि वह हमेशा से किसान, मजदूर व गरीबों की आवाज उठाई और बाद में पूरे विश्व में किसान मसीहा के नाम से विख्यात हुए।

प्रदीप त्यागी ने यह भी बताया कि जब उन्हें यह बताया कि रासना में शिक्षा का स्तर उठाने के लिए डिग्री कालेज का शिलान्यास करना है तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि बताओ कब करना है। बता दें कि रासना में वर्ष 1948 में जीवन ज्योति स्कूल स्थापित किया गया था, जिसके प्रबंध समिति के चौधरी चरण सिंह अध्यक्ष भी रहे थे।

बाद में इंटर कालेज और फिर वर्ष 1975 में डिग्री कालेज का शिलान्यास हुआ। इस कालेज को वर्ष 1983 में स्थायी मान्यता मिली थी। इसके अलावा चौधरी चरण सिंह कई शिक्षण संस्थानों का शुभारंभ कराने में अपना योगदान दिया था, तभी से उन्हे शिक्षा के भी पंडित कहा जाने लगा था।

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