कोल्ड अटैक से बिगड़ रहा बच्चों का स्वास्थ्य
Bagpat News - कडाके की ठंड ने बच्चों की सेहत को प्रभावित किया है। इस बार खांसी ठीक होने में सामान्य से ज्यादा समय लग रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि वायरस में बदलाव के कारण कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों को ज्यादा...

कडाके की ढंड ने लोगों की सेहत बिगाड़नी शुरू कर दी है। बीमारियों की चपेट में अधिकांश बच्चे आ रहे हैं। इस बार तीन से पांच दिन में ठीक हो जाने वाली खांसी को सात से दस दिन लग रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार वायरस में आए बदलाव के चलते ऐसा हो रहा है। कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों को ज्यादा परेशानी हो रही है। ऐसे में मरीजों को दवा के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के तरीकों की जानकारी दी जा रही है। दिसंबर के आखिरी दिनों में सर्दी ने रफ्तार पकड़ने की शुरुआत कर दी है। मौसम के बदलाव में जरा सी लापरवाही लोगों को बीमार कर रही है। सामान्य लोगों की अपेक्षा बच्चे और बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में यह जल्द बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इस साल खांसी दवा और उपचार के बाद ठीक होने में सात से दस दिन का समय ले रही है। ऐसे में इस बार ब्रोंकाइटिस छोटे बच्चों और अस्थमा रोगियों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो रहा है। दो साल से कम उम्र के कई बच्चों को तो भर्ती करने की जरूरत भी पड़ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह संक्रमण निमोनिया का ही एक रूप है, जो एक दूसरे के संपर्क में आने से फैल रहा है। जिसमें सर्दी, जुकाम, बुखार व एलर्जी से परेशानी शुरू हो रही है। जिसमें खांसी अधिक परेशान कर रही है। सामान्यत: खांसी पांच दिन में दूर होने वाली खांसी इस बार सात से दस दिन ले रही है। जिसमें छोटे बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। वहीं बड़ों को निमोनिया व अस्थमा पर भर्ती किया जा रहा है।
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खांसी ठीक होने में लग रहा समय
जिला अस्पताल के फिजिशियन डा. श्रवण कुमार ने बताया कि इस मौसम में यह देखा जा रहा है कि खांसी होने पर जल्दी ठीक नहीं हो रही है। इन्फेक्शन के कारण खांसी अधिक दिनों तक चल रही है। सांस के पुराने मरीजों की परेशानी बढ़ने के कारण दवा की डोज बढ़ानी पड़ रही है। कई मरीजों को इनहेलर का सुझाव दिया गया है।
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निमोनिया के प्रमुख लक्षण
तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं। सामान्य से अधिक तेज सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंक के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना निमोनिया के लक्षण हैं।
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कोट-
इस बार आरएसवी का असर अधिक है। पिछले वर्षों की तुलना में बच्चे दोगुना संख्या में बीमार हो रहे हैं। खांसी दस दिन तक परेशान कर रही है। इसलिए जरूरी है कि तत्काल डॉक्टर की सलाह लें। जरूरत पड़े तो बच्चों को भर्ती कराएं।
डा. राजसिंह, बाल रोग विशेषज्ञ
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कोट-
इस बार सर्दी में खांसी ज्यादा परेशान कर रही है। यह सीधे फेफड़े तक असर कर रही है और कई दिन तक परेशान कर रही है। खांसी होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें और भाप व नेबुलाइजर का प्रयोग करें।
डा. श्रवण कुमार, फिजिशियन
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