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गर्भावस्था का खानपान बच्चों पर पड़ रहा भारी

Bagpat News - गर्भवती महिलाओं की गलत खानपान आदतें, जैसे जंक फूड, तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, नवजातों में हार्ट और सांस की समस्याएं बढ़ा रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान सही पोषण न मिलने के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतTue, 16 Sep 2025 11:47 PM
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गर्भावस्था का खानपान बच्चों पर पड़ रहा भारी

गर्भवती द्वारा खानपान पर ध्यान न दिए जाने, एल्कोहल, तंबाकू और जंक फूड का शौक नवजात पर भारी पड़ रहा है। नवजात में हार्ट और सांस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। जिला अस्पताल से लेकर निजी चिकित्सकों के पास बीमार बच्चों की लंबी कतार लग रही है। जन्म के तुरंत बाद अधिकतर मामलों में बच्चे को सांस लेने की समस्या और धड़कन का कम होना पाया जा रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ गर्भ से पहले और गर्भावस्था के दौरान मां की लाइफ स्टाइल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. श्रवण कुमार ने बताया कि अधिकतर मामलों में गर्भ से पहले मां का बीमार होना, उसके बाहरी खान पान की आदत, तंबाकू, अल्कोहल आदि का सेवन पाया गया है।

जो कि गर्भ के बाद कोख को भी संक्रमित कर रहा है। ऐसे मामलों में नवजात को लंबे समय तक एनआईसीयू में रखकर उपचार करना मजबूरी हैं। सही इलाज न मिलने पर बच्चे को बचाना मुश्किल होता है। ------- अधिक एंटीबायोटिक का प्रयोग भी बड़ी वजह स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अंजना शर्मा ने बताया बच्चों में बीमारी गर्भ से ही आ रही है। गर्भ से पहले मां द्वारा अत्यधिक एंटी बायोटिक दवाओं का सेवन भी कारण है। बीमारियों को लेकर एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता बढ़ गई है, जिससे बच्चे के विकास में बाधा आ रही हैं। बिना डॉक्टर के लिखे ऐसी दवाओं का सेवन खतरनाक साबित हो रहा है। ------- यह है कारण पोषण युक्त भोजन, फल की जगह दवा और प्रोटीन पाउडर पर निर्भर। गर्भवती द्वारा जंक फूड किया जा रहा अधिक सेवन। बाहरी खान पान की वजह से गर्भ को नहीं मिल रहा पोषण। बाहरी खान पान में मैदा और ऑयल की अधिक सेवन। अब रक्त की कमी के लिए आयरन की गोलियों पर निर्भर। कैल्शियम की कमी को अब गोलियों पर निर्भर। विटामिन की कमी के लिए अब प्रोटीन का अधिक सेवन। ------ इन बातों का रखते थे ध्यान उल्टी, जी मिचलाना व पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए घरेलू उपचार तीन माह के बाद प्रसूता को दिया जाता था पोषण युक्त भोजन। तीन से नौ माह तक वजन बढ़ाने के लिए दिया जाता था जोर। रखते थे खास ख्याल। रक्त की कमी के लिए गुड़, अनार खजूर करते थे सेवन। कैल्शियम की कमी पूरा करने दूध, दही और फल पर निर्भर थे। विटामिन की कमी पर मौसमी फल पर रहता था अधिक जोर। ------ कोट- मां की कोख अब पहले के जैसी सुरक्षित नहीं रही है। वर्तमान में नवजात में हार्ट और सांस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसके पीछे गर्भ से पहले मां की लाइफ स्टाइल को जिम्मेदार पाया गया है। नवजात जन्मजात की बीमारी से ग्रसित पैदा हो रहे हैं। डा. आशुतोष शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ

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