बहनों के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर हो रही ईदी
बागपत। वरिष्ठ संवाददाता कोरोना महामारी ने दिनचर्या के साथ-साथ रीति रिवाज भी बदलकर रख...
कोरोना महामारी ने दिनचर्या के साथ-साथ रीति रिवाज भी बदलकर रख दिये हैं। बहनों और फूफियों के घर जाकर पहुंचायी जाने वाली ईदी पिछले साल की तरह इस बार भी तकरीबन खत्म हो चली है। जो अपने इस रिवाज और बहन-बेटियों को ईदी भेज रहे हैं उन्होनें केसलेश ट्रांजेकशन के विकल्प को अपनाया है। यानि बहनों के खाते में ईदी की रकम ट्रांसफर कर दी गई और उन्होंने अपने यहां उस पैसे से खरीदारी कर ली। हर साल ईद से पूर्व परिवार की बहन या फिर बुआ के घर ईदी भेजने का रिवाज है। ईदी में गोले, छुवारे से लेकर काजू, किसमिस, बादाम, बहन और उसके परिवार के कपड़े, चूडी आदि भेजी जाती है। मगर इस बार कोरोना के लगातार बढ़ रहे केस के कारण लोग ऑनलाइन ही बहन और बुआ के खाते में ईदी के रुपये भेज रहे है। मौलाना जमशेद, मौलाना याकूब का ईद का पर्व सादगी से मनाने की अपील लोगों से की है। साथ ही ईद के बजट का पचास प्रतिशत हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को देने की भी अपील की है।
घर में ऐसे अदा करे ईद की नमाज--
कारी जमील ने बताया कि लोग ईद की नमाज पिछले साल की तरह घर पर ही पढ़े। इसका तरीका यह है कि जिस घर में चार लोग या इससे अधिक है वह नमाज के लिए जमात कर सकते हैं। यदि किसी घर में चार लोगों से कम है तो वह लोग 4 रकआत नफिल नमाज ए चाश्त अकेले पढ़े। ईद की नमाज वाजिब है। इसको 6 जायद तकबीरों के साथ अदा करें।