नेशनल और स्टेट हाइवे पार कर स्कूल पहुंचने वाले बच्चों का मांगा ब्योरा
Bagpat News - सरकार ने स्कूल जाने वाले बच्चों का ब्योरा मांगा है, जो नेशनल और स्टेट हाइवे पार करते हैं। बागपत में कई बच्चों को स्कूल जाने के लिए हाइवे पार करना पड़ता है, जिससे उनकी जान को खतरा होता है। शिक्षा...

नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पार करके स्कूल जाने वाले बच्चों का ब्योरा शासन ने तलब किया है। स्कूल का नाम, छात्र संख्या सहित स्कूलों की संख्या आदि की जानकारी मांगी गई है। शासन की ओर से इस संबंध में आगे की व्यवस्था की जा सकती है। क्योंकि हाइवे पार करने में बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें खतरा भी बना रहता है। बागपत जनपद में भी कई स्कूलों के बच्चों को हाइवे पार करके जाना पड़ता है। राष्ट्रीय राज मार्ग (नेशनल हाइवे), राज्य राज मार्ग (स्टेट हाइवे) पार करने वाले स्कूलों की जानकारी शासन ने तलब की है।
शिक्षा निदेशक संजय कुमार उपाध्याय ने बागपत समेत सभी जनपदों के बीएसए से इस संबंध में ब्योरा तलब किया है। उन्होंने बीएसए से नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पार करके स्कूल जाने वाले बच्चों का ब्योरा गूगल शीट के माध्यम से तलब किया है, साथ ही निर्देश दिए कि स्कूलों की संख्या, छात्रों की संख्या, नेशनल हाइवे की संख्या, स्टेट हाइवे पर स्थित स्कूल का नाम व पता, स्टेट हाइवे की संख्या, कितने बच्चे हाइवे पार करके जाते हैं? आदि का ब्योरा तलब किया है। निर्देश दिए कि ब्योरा भेजने में ढिलाई न बरती जाए। उम्मीद जताई जा रही है कि शासन की ओर से हाइवे पार करके जाने वाले बच्चों के लिए सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, क्योंकि हाइवे पार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। --------- जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते है बच्चे बागपत जनपद में भी कई जगह बच्चे हाइवे पार करके स्कूल जाते हैं। ऐसे में जान जोखिम में डालकर बच्चों को स्कूल जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। बागपत के सिसाना गांव में तो बच्चों के सुबह स्कूल जाने और छुट्टी के समय शिक्षक-शिक्षिकाओं को यहां हाइवे पर खड़े होना पड़ता है। छुट्टी के समय शिक्षक हाइवे पर खड़े होकर वाहनों को रोकते हैं और उसके बाद बच्चों को हाइवे पार कराया जाता है। इसी तरह से हाइवे पर पड़ने वाले अन्य स्कूलों का यही हाल है। सरूरपुर कलां, बड़ौली, किशनपुर बराल, पाली, काठा आदि गांवों के बच्चों को नेशनल हाइवे पार करके जाना पड़ता है। देखना यह है कि शासन बच्चों की समस्या के समाधान के लिए कब तक कदम उठाता है।
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