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लॉकडाउन में बुजुगों के संग समय बिता रहे है परिवार

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लॉकडाउन में बुजुगों के संग समय बिता रहे है परिवार
हिन्दुस्तान टीम,बागपतSat, 15 May 2021 03:31 AM
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ऐसा समय शायद ही कभी आया हो या आएगा जब हमें घर में ही रहना है। ऐसे में हमें अपने बुजुर्गों के साथ एक छत के कई दिनों तक एक साथ रहने का समय मिला है। कस्बे के अधिकांश परिवारों में बुजुर्ग खुश है कि उनके बेटे बेटी बहु पोते पोती उनके साथ समय बिता रहे है।

कोविड़ महामारी के चलते लॉकड़ाउन ने दुनिया बदल दी। अब दुनिया घूमना नही घर रहना बेहतर माना जा रहा है। पहले बुजुर्गो के लिए सुबह-सवेरे टहलना, हल्‍का-फुल्‍का व्‍यायाम और योग कर लेना, ठहाकेलगा लेना और फिर घर आकर अखबार देखना, रोज की गतिविधियों में व्‍यस्‍त हो जाना। शाम को एक बार फिर सैर के बहाने बाहर आना और देश, दुनिया और समाज की बातों पर चर्चा कर लेना। टीवी पर खबरें सुन लेना और रात की नींद पर ध्‍यान लगा लेना। समय पर खाना-पीना और समय पर दवाइयां। यही दिनचर्या हुआ करती है हमारे आम बुजुर्गों की, लेकिन अब उनके बाहर निकलने पर ही खतरा है। ऐसे में वे मानसिक रूप से ड़रे हैं और शारीरिक रूप से थमे हुए हैं। ऐसे में इन दिनों परिवार का साथ बड़ा सहारा बना हुआ है। जहां पहले परिवार में छोटे से बड़े स्कूल आफिस और बिजनेस में व्यस्त रहते थे, अब ऐसा नही है।

कस्बे के लाला बलबीर जैन के सुपुत्र सुरेश जैन के परिवार का माहौल इन दिनों ऐसा ही बना हुआ है। सुरेश जैन की पत्नी अपने पोते पोतियों के साथ दिन भर व्यस्त रहती है। वे उनको सोशल मीड़िया पर मैसेज भेजने पढ़ने सीखा चुके है। दादी को कोई बात समझ नही आती तो तुरंत पोते दर्शित और पोत्री एना को आवाज लगाती है। वो आकर फिर दादी को पढ़ाकर चले जाते है। कई बार गुरू दक्षिणा में चाकलेट भी मिल जाती है। सुरेश जैन के पुत्र अंकुर जैन और पुत्र वधुचारू बताती है कि इन दिनों में बुजुर्गो को खुश रखना बहुत जरूरी है। अब उन्‍होंने समय बांधा है सब मिल कर उनसे रोज बात करते हैं। उनकी हर छोटी-बड़ी बात को सुनते हैं। सब घर में हैं तो बाहर जाने की जल्‍दी भी नहीं। बच्‍चे हर मुश्किल को आसान तरीके से देखने का समाधान बताते हैं और इस तरह सेये कठिन दिन गुजर रहे हैं। अब तो उन रिश्तेदारों के भी फोन आ रहे है जो पहले साल मे एक बार ही बात करते थे।

परिवार के साथ समय बिताने के दिन है

शिक्षाविद ड़ा. जगदीश कुमार का कहना है कि ऐसा समय शायद ही कभी आया हो या आएगा जब हमें घर में ही रहना है। ऐसे में हमें अपने बुजुर्गों के साथ एक छत के कई दिनों तक एक साथ रहने का समय मिला है। बुजुर्गों को प्‍यार व सम्‍मान देकर इसे फैमिली बॉन्ड़िंग मजबूत करने में प्रयोग किया जा सकता है। पूर्व प्रधानाचार्या और ध्यान योग केन्द्र की संचालिका राज गोस्वामी भी ऐसा ही मानती हैं। वे कहती हैं, संबंधों को ठीक करने का यह बहुत अच्‍छा समय है। कुछ घरों में थोड़ा मनमुटाव रहता है। जहां बरतन होते हैं वहां खटकते ही हैं। तो इस समय सारी नकारात्‍कता को दूर करें और फैमिली बॉन्ड़िंग को बढ़ाएं।

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