सिनौली में तीन बार हुआ उत्खनन कार्य, संरक्षित क्षेत्र घोषित
बागपत जनपद के सादिकपुर सिनौली गांव के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। बागपत जनपद का यह तीसरा पुरास्थल है जिसे संरक्षित क्षेत्र की...
बागपत जनपद के सादिकपुर सिनौली गांव के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। बागपत जनपद का यह तीसरा पुरास्थल है जिसे संरक्षित क्षेत्र की श्रेणी में शामिल किया गया है।
भारतीय उपमहाद्वीप में सादिकपुर सिनौली ही एकमात्र ऐसा गांव हैं, जहां पर ऐसे प्रमाण/पुरा संपदा प्राप्त हुए जिसने इतिहास में संशोधन को बाध्य किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सिनौली में तीन बार उत्खनन कार्य कराया जा चुका है और तीनों ही बार यहां से जो मिला है, वह इतना अधिक महत्वपूर्ण है कि सारी दुनिया के पुरातत्वविदों, इतिहासकारों की नजरें इस समय सिनौली पर टिकी हुई हैं।
विश्व के सबसे बड़े शवाधान केंद्र के रूप में पुष्ट हो चुकी सिनौली साइट से प्राप्त ताम्र निधि से यहां 5000 साल पुरानी ताम्र युगीन सभ्यता की भी पुष्टि हुई है। सादिकपुर सिनौली की ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए एएसआई की महानिदेशक डा. ऊषा शर्मा ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। साथ ही दो माह का समय देते हुए आपत्तियां तक मांगी गई है।
संरक्षित स्थल घोषित होने के बाद एएसआई लगभग 200 बीघा परिक्षेत्र को अधिग्रहित कर लेगी और उसके बाद यहां पर विस्तार से उत्खनन कार्य किया जाएगा।
स्मरण रहे कि सिनौली में अभी तक तीन चरणों में एएसआई उत्खनन कार्य करा चुकी है। पहले चरण में ही यहां पर विश्व के सबसे बड़े शवाधान के मिलने की पुष्टि हो गई थी। द्वितीय चरण में यहां से युद्ध रथ, शाही ताबूत प्राप्त हुए थे और तीसरे चरण में धातु गलन भट्ठियां, युद्ध धनुष प्राप्त हुए थे। सिनौली को संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने को लेकर पुरातत्वविदों, इतिहासकारों ने खुशी का इजहार किया है।
पुरातत्वविद डा. डीवी शर्मा, शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डा. अमित राय जैन, इतिहासकार डा. केके शर्मा ने एएसआई की इस कार्रवाई पर प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा है कि इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।