पंजीयन के नियम हुए सख्त, नर्सिंग होम होने लगे क्लीनिक में तब्दील
Bagpat News - क्लीनिक संचालित करने वाले चिकित्सकों का ध्यान अब नर्सिंग होम के बजाय क्लीनिक के पंजीकरण पर है। सख्त मानकों और कठिन एनओसी आवश्यकताओं के चलते कई चिकित्सक अपने नर्सिंग होम बंद कर क्लीनिक का पंजीकरण करा...

क्लीनिक संचालित करने वाले कई चिकित्सकों का फोकस अमूमन आगे चलकर इसे नर्सिंग होम में तब्दील करने का होता है। ऐसा देखने में भी आता रहा है, मगर इस बार पंजीकरण के मानक इतने अधिक सख्त किए गए हैं कि इसके असर से अभी तक नर्सिंग होम संचालित कर रहे कुछ चिकित्सकों ने अपने चिकित्सा संस्थान का पंजीयन क्लीनिक के तौर पर कराने का रुझान दिखाया है। चिकित्सा क्षेत्र के जानकार इसे उल्टी गंगा के तौर पर परिभाषित कर रहे हैं। इस बार प्रदेश में चिकित्सा संस्थानों का पंजीयन पांच साल के लिए होने की व्यवस्था लागू की गई है। चिकित्सा संस्थानों का पंजीयन कराने को निर्धारित मानक पूरे कराने पर फोकस किया जा रहा है।
सभी निर्धारित मानक पूर्ण होने की स्थिति में ही किसी चिकित्सा संस्थान का पंजीयन क्लीनिक, नर्सिंग होम या अस्पताल के रूप में संभव हो पा रहा है, लेकिन पंजीयन के लिए अग्निशमन, प्रदूषण आदि की एनओसी प्राप्त करने की शर्तें काफी अधिक कठिन कर दी गई हैं। जिसके चलते कुछ चिकित्सकों ने पूर्व से संचालित अपने नर्सिंग होम को बंद करके क्लीनिक का पंजीयन कराने का फैसला किया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी चिकित्सा संस्थानों के पंजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। अब यह लगभग अंतिम चरण में पहुंच गई है। पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट रूप से सामने आ सकेगा कि पूर्व में नर्सिंग होम संचालित कर रहे सभी चिकित्सकों ने इस बार पंजीयन नर्सिंग होम के रूप में कराया है या किसी ने अपने चिकित्सा संस्थान को क्लीनिक के तौर पंजीकृत कराया है।
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