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चर्मशोध इकाई गांव में बांट रही बीमारियां

चौगामा क्षेत्र के भड़ल गांव में चल रहे कई वर्षों से चर्मशोध कार्य के कारण गांव में पानी और हवा दोनों दूषित हो चुकी...

चर्मशोध इकाई गांव में बांट रही बीमारियां
हिन्दुस्तान टीम,बागपतFri, 05 Oct 2018 12:12 AM
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चौगामा क्षेत्र के भड़ल गांव में चल रहे कई वर्षों से चर्मशोध कार्य के कारण गांव में पानी और हवा दोनों दूषित हो चुकी हैं। इस कारण गांव में बीमारियां फैल रही है।

गांव में दर्जनों लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी का शिकार है। इस गांव के करीब 50 लोग अपनी जान गवा चुके है जबकि कई दर्जन लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं। सबसे बड़ा असर बुजुर्गों पर देखने को मिल रहा है। गांव में इस चर्मशोध कार्य होने की वजह से कैंसर, पीलिया, चर्म रोग, श्वास, दमा, फालिस आदि की बीमारियां उत्पन्न हो रही है। यह गांव है जनपद बागपत की बड़ौत तहसील क्षेत्र का भड़ल गांव जो चौगामा क्षेत्र में आता है।

इस गांव में काफी वर्षों से चर्मशोध यानी चमड़े का कार्य दलित समाज के लोग करते आ रहे है। यह कार्य गांव के अंदर ही चल रहा है। इस कार्य को करने वाले लोग कच्चा चमड़ा बाहर लाकर उसे गलाते है, लेकिन इस कार्य होने की वजह से गांव में दूषित पानी गलियों में बहकर तालाब में जाता है।

बात साफ है कि इस कार्य से पानी और हवा दोनों दूषित हो रहे हैं। खुली हवा में सांस लेने में भी उन्हें दिक्कत हो रही है क्योंकि गाँव में चारों और बदबू का साम्राज्य है। इस गांव के लोग कई घातक बीमारियों से ग्रस्त है जिनमे टीबी अस्थमा, अपंगता और कैंसर, इनमे कैंसर एक घातक बीमारी और गांव के अधिकतर लोगों को इसी बीमारी ने अपनी चपेट में ले रखा है।

इनमें ज्यादातर बुजुर्ग शामिल है। इतना ही कुछ परिवार तो ऐसे है। जिनके घर का शख्स इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुका है और इस दुनिया से अलबिदा कह चुके है जबकि कई दर्जन लोग गंभीर बीमारियों की चपेट है जो अपना इलाज दिल्ली हरियाणा और आसपास के जनपदों में करा रहे है।

ग्रामीण सुखबीर सिंह, जितेंद्र राणा आदि लोगों का कहना है गांव में जो चर्मशोध कार्य चल रहा है। पिछले तीन वर्षों में अब तक करीब पचास लोगों की मौत हो चुकी है।

ग्रामीणों का कहना है कि वह गांव में अंदर चल रहे चर्मशोध कार्य को बाहर स्थानांतरण कराने की मांग जिला प्रशासन से पिछले दो वर्षों से करते आ रहे है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नही हो पाई है। यही कारण है कि पिछले करीब तीन सप्ताह से ग्रामीण अनिश्चितकालीन पर अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं।

ग्राम प्रधान देवेन्द्र राणा का कहना है कि गाँव में हो रहे चर्मशोध कार्य के कारण लोगों में बीमारियां और लोगो की जान भी जा चुकी है। ग्राम पंचायत की और से गांव से बाहर लाखों रुपये खर्च करके चर्मशोध केन्द्र बनाया गया है। ताकि दलित समाज के लोग अपना कार्य कर सके, लेकिन केन्द्र बनने के बावजूद भी लोग गांव में ही कार्य कर रहे है। बहार जाने को तैयार नहीं है। वह कई बार जिला प्रशासन से स्थान्तरण करवाने की मांग कर चुके है।

बीमारी से पीड़ित लोग बोले

केस नंबर 1: भड़ल गांव के रहने ओमबीर सिंह इनकी उम्र करीब 67 वर्ष है जो पिछले तीन वर्षों से मुंह के कैंसर से पीड़ित है और अपना इलाज दिल्ली के अस्पताल में अपना इलाज करा रहा है।

केस नम्बर 2: मनोज देवी का कहना है वह चरम रोग की बीमारी से पीड़ित है और वह करीब दो वर्षों से इस बीमारी की चपेट में है जो अपना इलाज मेरठ से करा रही है।

केस नम्बर 3: भड़ल गाँव की रहने वाली ममता का कहना वह एलर्जी की बीमारी और लीवर की बीमारी से पीड़ित है और उन्होंने अपने घर मे आरओ भी लगाया है और वह इस बीमारी से पिछले दो वर्षों से पीड़ित है।

केस नम्बर 4: जोगिंदर का कहना है वह श्वास की बीमारी से बीमारी से पीड़ित है और घर में भी अन्य लोगों भी ये समस्या बन रही है क्योंकि जिस जगह उसका घर है वहां चमड़े का कार्य होता है, इसी की वजह से उसे यह परेशानी है। केस नम्बर 5: भड़ल निवासी अक्षय बताते है कि उसके पूरे शरीर पर एलिर्जी की परेशानी बनी हुई है। वह करीब एक वर्ष से इस बीमारी की चपेट में है।

केस नम्बर 6: भड़ल निवासी सुखबीर सिंह का कहना है वह चर्म रोग की बीमारी की से पीड़ित है जिसका कारण भी गांव में हो रहे चर्मशोध के कारण ही यह बीमारी फेल रही है। वहीं अन्य लोगों को भी यह बीमारी हो रही है।

कैंसर से मरने वालों की संख्या

वीरेंद्र पुत्र अतर सिंह, ज्ञान देवी पत्नी धर्मपाल, चंद्रकती पत्नी अजयपाल, ईश्वर पुत्र भुल्लन सिंह, इंद्रपाल पुत्र चोल सिंह, रविंद्र पुत्र राजसिंह, ब्रह्मसिंह पुत्र छोटे, यामीन पुत्र हमीद, मास्टर जैन सिंह, जयवीर पुत्र इलमचंद, ब्रह्मपाल पुत्र अजब सिंह, राकेश पुत्र उदयवीर, बलवीर पुत्र ईश्वर, रतीकौर पत्नी राजपाल, जगपाल पुत्र कालू, धर्मबीर पुत्र जिले सिंह, धर्मवीर पुत्र जीत सिंह, विजेंदर पुत्र निरंजन, राकेश पत्नी विजेंदर, छोटी पत्नी विक्रम, धर्मवीर पुत्र किशन सिंह, सोहनबीरी पत्नी तेजपाल, ओमप्रकाश पुत्र छोटा, राजपाल, ओमकार पुत्र घसीटा, शन्नू कश्यप, गोरखा का पुत्र बसीर, यामीन, ब्रह्मकौर पत्नी राजपाल, राजपाल पुत्र मामचंद, विजयपाल पुत्र अमर सिंह, अरुण पुत्र कालूराम, मुन्ना पुत्र मुस्ताक, शरीफ, पीतम आदि शामिल हैं।

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