हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भुगतान न होने पर रिट दायर
Bagpat News - मैसर्स देवांश एसोसिएट्स ने 29 लाख रुपये के भुगतान में देरी और जांच में पक्षपात के आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में रिट दायर की है। कंपनी ने छपरौली ब्लॉक में तीन कार्य किए थे, लेकिन भुगतान नहीं हुआ। जांच...

मैसर्स देवांश एसोसिएट्स ने 29 लाख रुपये के भुगतान में देरी और जांच के नाम पर मामले को लटकाने के आरोप लगाते हुए एक बार फिर हाईकोर्ट में रिट दायर की है। इस रिट में राज्य सरकार के साथ सीडीओ, डीडीओ और बीडीओ छपरौली को पार्टी बनाया गया है। फर्म ने छपरौली ब्लॉक में लगभग 30 लाख रुपये के तीन कार्य किए थे। आरईडी के अवर अभियंता स्वदीप झा द्वारा एमबी न देने के कारण कंपनी को भुगतान नहीं हो सका। फर्म ने इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था। जुलाई में हाईकोर्ट ने कार्यों की जांच कर भुगतान कराने का आदेश डीडीओ को दिया था। तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में भुगतान की सिफारिश की थी, लेकिन जेई स्वदीप झा पर जांच में सहयोग न करने के आरोप लगे थे। इसके अलावा अवर अभियंता ने 9.17 लाख रुपये के अनुबंधित कार्य की जगह केवल 17 हजार रुपये के भुगतान की सिफारिश की थी। बीडीओ छपरौली ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में ब्लॉक प्रमुख को दिसंबर में भुगतान करने का पत्र लिखा। इसके बाद ब्लॉक प्रमुख ने डीएम से शिकायत की। डीएम ने सीडीओ को जांच के निर्देश दिए, और सीडीओ ने डीडीओ अखिलेश कुमार चौबे को जांच कराने का जिम्मा सौंपा। डीडीओ ने पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता राजेंद्र प्रसाद और आरईडी के सहायक अभियंता अनवार अहमद की दो सदस्यीय समिति बनाई। समिति ने जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। मैसर्स देवांश एसोसिएट्स ने आरोप लगाया कि कमीशन न देने के कारण जांच में पक्षपात किया गया। रिट में दावा किया गया कि बिना जानकारी के तीसरी बार जांच कराई गई, और रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं थीं। समिति की रिपोर्ट पर पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता सतीश कुमार के हस्ताक्षर पाए गए, जबकि जांच में राजेंद्र प्रसाद का नाम था। फर्म ने संविधान के अनुच्छेद 226 का हवाला देते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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