ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश बागपतप्रत्याशियों ने ली सकून की सांस, उतारी थकान

प्रत्याशियों ने ली सकून की सांस, उतारी थकान

लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण समाप्त हो चुका है। मतदान के बाद अब प्रत्याशियों ने सकून की सांस ली है। न प्रचार की फिक्र और न रूठों को मनाने के लिए जोड़तोड़ के भागदौड़ करने की...

प्रत्याशियों ने ली सकून की सांस, उतारी थकान
हिन्दुस्तान टीम,बागपतSat, 13 Apr 2019 12:07 AM
ऐप पर पढ़ें

लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण समाप्त हो चुका है। मतदान के बाद अब प्रत्याशियों ने सकून की सांस ली है। न प्रचार की फिक्र और न रूठों को मनाने के लिए जोड़तोड़ के भागदौड़ करने की चिंता। शुक्रवार का दिन अपने परिवार व परिजनों के साथ बिताया। कुछ प्रत्याशियों नींद पूरी करने के बाद अपने कार्यकर्ताओं के साथ मंथन किया। लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण का मतदान गुरुवार को हो गया।

मतदान समाप्त होने के बाद प्रत्याशियों ने राहत की सांस ली। भाजपा प्रत्याशी व केन्द्रीय राज्य मंत्री डा.सत्यपाल सिंह ने नगर की आवास विकास कालोनी में अपने परिवार के साथ समय बिताया। इसके बाद वह कार्यालय पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर चुनाव के परिणाम पर मंथन किया। डा.सत्यपाल सिंह व उनके समर्थक जीत के प्रति आश्वस्त नजर आए।

अपने परिवार के बीच करीब डेढ़ माह बाद सकून से दो पल बैठ पाए। चुनाव के चलते उन्हें फुर्सत मिल ही नहीं रही थी। बीच में कार्यकर्ता उनसे मिलने आ रहे थे, सभी से वह प्यार से मिल रहे थे। रालोद प्रत्याशी जयंत चौधरी दिल्ली बसंत कुंज में अपने परिवार के साथ रहे।

उन्होंने पूरा दिन अपने परिवार के साथ बिताया। नगर में रालोद के मुख्य चुनाव कार्यालय पर रालोद कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहा। सभी अपने-अपने गांव में डलने वाले वोट को लेकर चर्चा कर रहे थे। कहां पर किस प्रत्याशी को ज्यादा वोट मिले। उनकी जीत का आधार कौन से वोट बनेंगे। इस पर दिनभर चर्चा चलती रही।

अब चुनावी आंकड़ों को सुलझाने का समय- हार-जीत के अंतर को तय करने में बीता पूरा दिन

बड़ौत। कहने को तो लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण का मतदान समाप्त हो चुका है, लेकिन वास्तविकता तो यह है कि हार-जीत के विषय में आराम से बैठकर बातें करने का समय तो अभी आया है। यही कारण था कि मतदान से अगले रोज सभी स्थानों पर हर कोई चुनावी आंकड़ों को सुलझाने में व्यस्त दिखाई दिया।गुरुवार को मतदान समाप्त होने के बाद प्रत्याशियों तथा मतदाताओं ने बड़ी राहत की सांस ली। कहने को तो गुरुवार की रात्रि सभी ने प्रत्येक चिंता को दीवार पर टांग चैन की नींद ली, लेकिन ऐसा नहीं था। वास्तव में प्रत्याशियों और समर्थकों के लिए असली चिंता अब शुरू हुई है। कौन प्रत्याशी को किस गांव में कितना वोट मिला?

कितने बजे कहां कैसी स्थिति थी, कौन आगे चल रहा था तो कौन पीटे? ये कुछ ऐसे सवाल थे जो शुक्रवार को हर जगह देखने और सुनने को मिले। जगह-जगह लोगों की मंडली तथा चौपालों में इन सवालों को लेकर एक-दूसरे से राय-मशवरा लिया गया। अधिकांश तो फोन पर भी इन सवालों को दूसरे गांवों में अपने सगे संबंधियों, मित्रों से बातचीत करते हुए नजर आए। इसके अलावा समर्थक अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के प्रति आश्वस्त तथा प्रत्येक गांवों में ‘एक तरफा वोटिंग होने की बात करते हुए नजर आए। नगर में लगी विभिन्न स्थानों पर चौपालें तथा समूह चर्चाओं में प्रत्याशियों के बीच रोमांचक स्थिति पर सभी सहमत नजर आए। अधिकांश लोगों का तो यहां तक कहना था कि इस सीट पर चुनाव उलझता सा नजर आ रहा है। कोई भी जीते या हारे, हार-जीत का अंतर बहुत ही कम रहेगा। खैर जो भी हो, 23 मई को स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी।

हुक्का पंचायत में होता रहा चुनाव का मंथन

लोक सभा चुनाव के लिए गुरुवार को हुए मतदान के बाद शुक्रवार को गांवों में जगह-जगह हुक्का पंचायतों का दौर रहा,जिसमें चुनाव के हार-जीत के समीकरण बनते और बिगड़ते रहे। कई बार लोगों के बीच गरमा-गर्मी भी हुई। गांवों में शुक्रवार को सबसे ज्यादा जोर हुक्का पंचायतों का रहा। गांव-गांव में आसपास लगी हुक्का पंचायतों में प्रत्याशियों के हार-जीत के समीकरण बनते और बिगड़ते रहे।

हुक्का पंचायतों में बैठे समर्थक अपने-अपने प्रत्याशी को जिताते रहे। अगल-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रत्याशियों के समर्थकों की हुक्का पंचायतें लगी हुई थी। सभी अपने-अपने प्रत्याशी को जीता रहे थे,जो जिस प्रत्याशी का समर्थक था। वह उसकी जीत के दांवे पेश कर रहा था। कुछ समर्थक तो कागजों पर वोटों के आंकडे खिलकर अपने प्रत्याशी के जीतने का पक्का दावा करते रहे।

इस दौरान कई बार उनके बीच गरमा-गर्मी भी हुई,लेकिन फिर आपस में बात करने लगते थे। देर शाम तक हुक्का पंचायते चलती रही।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें