विश्व मुक्केबाजी दिवस: रिंग में धमाल मचा रहे बागपत के मुक्केबाज
Bagpat News - बागपत के मुक्केबाज बिना सरकारी सहायता के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। यहां की विभिन्न एकेडमी में 200 से अधिक मुक्केबाज प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिनमें महिला खिलाड़ी भी शामिल हैं। प्रीति...

बड़ौत। बागपत को निशानेबाजों के नाम से जाना जाता है, लेकिन यहां के मुक्केबाज भी किसी से कम नहीं है। बिना सरकारी सुविधाओं के यहां के मुक्केबाज अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी छाप छोड़ चुके है। हाल में बागपत की विभिन्न एकेडमी में 200 से अधिक मुक्केबाज अभ्यास कर रहे हैं। कोई मैरी कॉम बनना चाहती है तो कोई विजेंद्र सिंह, कोई लवलीना बोरगोहेन तो कोई अमित पंघल। ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने ओलंपिक तक में देश का प्रतिनिधित्व किया है। वैसे तो बागपत जनपद को पहलवानों, निशानेबाजों के नाम से अधिक जाना जाता है, लेकिन अब धीरे-धीरे मुक्केबाजी के खेल में भी यहां के बॉक्सर शानदार प्रदर्शन कर अपनी एक अलग ही पहचान बनाने में जुटे हैं। यदि जनपद बागपत में बॉक्सिंग एकेडमी की बात करें तो केवल दो ही एकेडमी और एक बॉक्सिंग एसोसिएशन मौजूद हैं। खास बात यह है कि ये एकेडमी और एसोसिएशन भी निजी हैं यानि सरकारी तौर पर देखा जाए तो मुक्केबाजी के खेल को बढ़ावा देने के लिए कोई खास बंदोबस्त यहां पर मौजूद नहीं हैं। इन एकेडमी और एसोसिएशन के बैनर तले 200 के करीब मुक्केबाज हैं जो प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इनमें कुछ संख्या महिला खिलाड़ियों की भी हैं।
खेल इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष भगत सिंह व बागपत डिस्ट्रिक्ट वुशु एसोसिएशन के कोच राज विपिन जोशिया का कहना है कि जनपद में जितने भी मुक्केबाज इस समय अभ्यास कर रहे हैं, वे जल्द ही बड़े मुकाबलों में खेलते हुए नजर आएंगे।
जिले के सरूरपुर गांव की रहने वाली प्रीति नैन तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं का सफर तय कर चुकी है। प्रीति एक किसान परिवार की बेटी हैं और उसने 2022 में भूटान के जोर्जिया में आयोजित इंटरनेशनल वुशु चैंपियनशिप में ओपन किक बॉक्सिंग में ब्रांज मेडल प्राप्त कर जनपद का नाम रोशन किया था। खेकड़ा के अहिरान मोहल्ले की रहने वाली कैरवी यादव ने तो गत वर्ष अगस्त माह में लखनऊ में आयोजित हुई रीजनल जॉन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल प्राप्त किया था।
ये हैं बागपत के मुक्केबाज: बागपत निवासी अजय सिंह, लुहारी निवासी अंकित कुमार, लोयन निवासी आकाश तोमर, जोनमाना निवासी सौरभ कुमार, किरठल के विशाल चौहान। बालिका वर्ग में बागपत निवासी अनु सिंह, सिरसली निवासी आकांशा तोमर, सरूरपुर निवासी स्विटी, खेकड़ा निवासी कैरवी।
किक बॉक्सिंग का उस्ताद बन गया गौरी शंकर
बड़ौत। बड़ौत निवासी गौरी शंकर दिव्यांग है। वह बोल नहीं सकता। मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से ही लोगों से बात करता है। कोच राज विपिन जोशिया ने बताया कि वर्ष 2008 में उसने राज बाक्सिंग क्लब बड़ौत से किक बॉक्सिंग सीखनी शुरू की थी। अब वह राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचा चुका है। मूक बधिर होने के कारण वह आम बच्चों से अलग रहा। लेकिन कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश ने गौरी शंकर को आगे बढने का हौंसला दिया। खुद अपने खेल के साथ जांबाज खिलाड़ी युवा खिलाड़ियों की पौध तैयार करने में जुटा है।
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