40 Pregnant Women Anemic in District High Maternal and Infant Mortality Risks खून की कमी से जूझ रहीं 40 फीसदी गर्भवती महिलाएं, Bagpat Hindi News - Hindustan
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खून की कमी से जूझ रहीं 40 फीसदी गर्भवती महिलाएं

Bagpat News - जिले में प्रसव कराने आ रही गर्भवती महिलाओं में 40 फीसदी एनीमिक पाई गई हैं, जिनमें से 9.4 फीसदी हाई रिस्क पर हैं। प्रसव पूर्व देखभाल की कमी और खानपान की कमी से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की...

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतSun, 29 Dec 2024 10:15 PM
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खून की कमी से जूझ रहीं 40 फीसदी गर्भवती महिलाएं

प्रसव कराने के लिए अस्पताल आ रहीं जिले की 40 फीसदी तक गर्भवती महिलाएं एनीमिक मिल रही हैं। इनमें 9.4 फीसदी गर्भावस्था के दौरान हाई रिस्क वाली हैं। गर्भवतियों में खून की कमी से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की स्वास्थ्य विभाग की कवायद काम नहीं आ रही है। विभाग की प्रसव पूर्व देखभाल में लापरवाही के चलते जिले में एनीमिया मुक्त भारत की मुहिम ठंडी पड़ी है। इस ओर प्रशासन की बार-बार चेतावनी के बाद भी जिम्मेदार अफसर बेपरवाह बने हुए हैं। कम उम्र में शादी, खानपान की कमी और प्रसव पूर्व देखभाल में लापरवाही के चलते जिले में प्रसव से पहले 40 फीसदी तक गर्भवती महिलाएं एनीमिक मिल रही हैं। इसके अलावा घरेलू प्रसव जैसी वजहों से भी डिलीवरी के दौरान हाई-रिस्क वाली गर्भवतियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में खून की कमी से गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम वाली महिलाओं का आंकड़ा 9.4 फीसदी है। खून की कमी को दूर करने के लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन व कैल्शियम की गोलियों की सलाह दी जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019 से 2021 तक में सामने आया है कि पांच साल से भी कम अंतर पर करीब 3.3 फीसदी महिलाएं तीसरा या चौथा प्रसव करा चुकी होती हैं, जबकि 1.4 फीसदी मामलों में घरेलू प्रसव भी प्रसूताओं की जान ले रहा है। एनीमिया के साथ ही दूसरी गंभीर बीमारियों से भी गर्भावस्था के दौरान मातृ एवं शिशु मृत्यु दर का जोखिम और ज्यादा बढ़ जा रहा है। इस सबके चलते गर्भवतियों में खून की कमी से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की विभागीय कवायद काम नहीं आ रही है। खासकर प्रसव पूर्व देखभाल में कमी की वजह से एनीमिया मुक्त भारत की मुहिम ठंडी पड़ी है। इस ओर प्रशासन की बार-बार चेतावनी के बाद भी जिम्मेदार अफसर बेपरवाह बने हुए हैं।

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पांच फीसदी गर्भवती ले रहीं आयरन व फोलिक एसिड

विभागीय स्तर पर की जाने वाली प्रसव पूर्व देखभाल के आंकड़े बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान 80 फीसदी तक महिलाएं आयरन व फॉलिक एसिड की टेबलेट नहीं ले रही हैं। गर्भावस्था में सिर्फ 17 फीसदी महिलाएं ही आयरन व फॉलिक एसिड की टेबलेट ले रही हैं। जिले में केवल पांच फीसदी गर्भवती ही 180 दिन तक आयरन व फॉलिक एसिड टेबलेट ले रही हैं।

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कोट-

गर्भवती महिलाओं की सभी जांचों के साथ ही प्रसव पूर्व देखभाल पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। आशा व एएनएम के माध्यम से टीकाकरण कराने के साथ ही आयरन व फोलिक एसिड टेबलेट का घर-घर वितरण कराया जा रहा है। गर्भवतियों को सही खानपान व पोषण के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है।

डा. तीरथलाल, सीएमओ बागपत

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