ईश्वर के नाम से शुरु किया कार्य असफल नहीं होता
नगर के हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर में आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन भक्त प्रहलाद की कथा सुनायी गयी। कथा वाचक परमानंद महाराज ने कहा कि ईश्वर सर्वत्र...

उझानी। नगर के हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर में आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन भक्त प्रहलाद की कथा सुनायी गयी। कथा वाचक परमानंद महाराज ने कहा कि ईश्वर सर्वत्र व्याप्त है, उसको कभी नहीं भूलना चाहिए। ईश्वर का नाम लेकर किया जाने वाला कार्य कभी असफल नहीं होता।
भागवताचार्य ने कहा कि भक्त प्रहलाद को्र अभिमान में चूर उसके ही पिता हिरणा कश्यप ने कई बार भगवान विष्णुहरि की भक्ति छोड़ने को मजबूर किया। कई बार अपने ही हरि भक्त प्रहलाद को जहर देकर व सांप से डसवाकर मारने का प्रयत्न किया। अग्निविजय बहन होलिका की मदद से उसे अग्नि में जलाने का भी प्रयास किया। भगवान हरि की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई, जबकि हरि भक्त प्रहलाद का बालबांका भी नहीं हुआ। अंत में नरसिंहरूप धारण कर भगवान ने हिरणाकश्यप को मौत के घाट उतार दिया। चारों ओर भक्त प्रहलाद की जय जय कार होने लगी। पूर्व मंत्री विमल कृष्ण अग्रवाल, पुरुषोत्तम वार्ष्णेय, त्रिलोकी नाथ बांगड़ा, चौधरी टेड़ामल अग्रवाल, पुरुषोत्तम दास वार्ष्णेय ने प्रसाद वितरित किया।
