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देश के दुश्मनों से लड़ते शहीद हुआ बदायूं का लाल

हम फौजी इस देश की धड़कन है... पूरा करने चले जान ओ तन साथियों अब तुम्होरे हवाले साथियों। इस गीत को सुन रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्योंकि यह सिर्फ एक गीते नहीं बल्कि उस सिपाही की आवाज है जो सीमा पर लड़ते...

देश के दुश्मनों से लड़ते शहीद हुआ बदायूं का लाल
हिन्दुस्तान टीम,बदायूंSun, 20 Jan 2019 01:31 AM
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हम फौजी इस देश की धड़कन है... पूरा करने चले जान ओ तन साथियों अब तुम्होरे हवाले साथियों। इस गीत को सुन रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्योंकि यह सिर्फ एक गीते नहीं बल्कि उस सिपाही की आवाज है जो सीमा पर लड़ते शहीद हो जाता है।

देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले जांबाज जवानों की बदौलत ही हम सुरक्षित है। ऐसे ही जिले के बहादुर और जांबाज देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। जिन्हें उनकी शहादत और बहादुरी के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।अपनी बहादुरी के चलते कई प्राप्त किए मैडल जिले की बिसौली तहसील के रहने वाले ईटौआ गांव के हरिओम पाल सिंह वर्ष 1986 में सेना में भर्ती हुए थे। उन्हें मैदानी इलाके अच्छे नहीं लगते थे। वह 9 पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवान थे। वह कहते थे कि मैदान में आकर वे मोटा हो जाता हूं और एक जवान को मोटा नहीं होना चाहिए। इसलिए उन्होंने पहाड़ों पर और सियाचिन जैसे जबरदस्त बर्फीले इलाके में सरहदों की हिफाजत करते हुए अपनी ज्यादातर ड्यूटी पूरी की। तीन युद्धों को लड़ दिखाई बहादुरीहरिओम पाल सिंह ने तीन युद्ध लड़े ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन मेघदूत और अपने अंतिम युद्ध ऑपरेशन विजय।

उन्होंने इन भी युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अदम्य साहस दिखाया। उन्होंने दुश्मनों को दिखा दिया कि देश के जवान अपनी मां की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकते हैं। कारगिल युद्ध के दौरान 01 जुलाई 1999 को वे शहीद हो गए। ड्यूटी के दौरान उन्हें कई मैडल मिले थे, लेकिन स्पेशल सर्विस मैडल उन्हें मरणोपरांत मिला।

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