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हिंदी की दुरुहता ही हिंदी के विकास में बाधक : डॉ.पवन

राजकीय महिला महाविद्यालय में चल रही तीन दिवसीय हिंदी कार्यशाला के दूसरे दिन वक्ताओं ने अपने विचारों को रखा और साहित्यकारों की चुनौतियों के बारे में...

हिंदी की दुरुहता ही हिंदी के विकास में बाधक : डॉ.पवन
हिन्दुस्तान टीम,बदायूंSat, 14 Sep 2019 01:41 AM
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राजकीय महिला महाविद्यालय में चल रही तीन दिवसीय हिंदी कार्यशाला के दूसरे दिन वक्ताओं ने अपने विचारों को रखा और साहित्यकारों की चुनौतियों के बारे में बताया।

दूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ वीरांगना अवंतीबाई लोधी राजकीय महिला महाविद्यालय बरेली की प्राचार्य डॉ. बीना पाण्डेय ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यशाला में वक्ताओं डॉ. संध्या सक्सेना ने आभासीय दुनिया में साहित्यकारों की चुनौतियों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बीसलपुर के हिंदी प्रोफेसर डॉ.पवन द्विवेदी ने प्रायोजन मूलक हिंदी की दुरूहता ही हिंदी के विकास में बाधक है के बारे में जानकारी दी।

इसके साथा ही बांके बिहारी कन्या महाविद्यालय से डॉ. अजीत शंखधार, डॉ.मनीषा शखंधार, गिंदो देवी महिला महाविद्यालय से डॉ.शिखा पाण्डेय, डॉ.शुभ्रा माहेश्वरी, डॉ. निशी अवस्थी, इग्नू काउंसलर डॉ. गायत्री प्रियदर्शी ने काव्य के माध्यम से हिंदी की महत्ता को समझाया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.वंदना द्वारा किया गया। इस मौके पर डॉ. राजधन, डॉ. मनोज कुमार, मनीषा भूषण, रोहित, अफसाना खातून, प्रेमराज मौजूद रहे। अंत में प्राचार्य डॉ.स्मिता जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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