मलेरिया विभाग ने गांव के नोटिस शहर में काटकर की खानापूर्ति
जनता की जान की परवाह किसी को को नहीं हैं, कोई अपनी नौकरी बचाने में लगा है, तो कोई पैसा कमाने में लगा है, कोई घर पर मौजमस्ती में लगा है, तो कोई खाना पूर्ति करने में लगा...
जनता की जान की परवाह किसी को को नहीं हैं, कोई अपनी नौकरी बचाने में लगा है, तो कोई पैसा कमाने में लगा है, कोई घर पर मौजमस्ती में लगा है, तो कोई खाना पूर्ति करने में लगा है। जैसा कि सीएमओ के बाद लापरवाह विभाग मलेरिया साबित हुआ है।
आज तक विभाग ने सालभर में गांव एक भी अभियान नहीं चलाया। बीमारियों से मरे तो विभाग जागा। उसके बाद भी खानापूर्ति पर विभाग अपना दाबा ठोंक रहा है। जबकि नोटिस काटने में पूरी तरह से खेल किया गया है।जिला मलेरिया विभाग सालभर में सिर्फ एक महीने दिखाई देता है, वह है सितंबर महीना। यह महीना में भी मजबूरी में दौड़ना पड़ता है, क्योंकि रोजाना लोगों की मौत होती है।
सालभर कागजों पर खानापूर्ति करके विभाग के अफसर मस्ती करते हैं। ऐसे ही दावे विभाग के कुछ अफसर खोल रहे हैं। वह हकीकत भूल बैठे हैं और दावा ठोक रहे हैं कि जिले में सालभर में लार्वा के चलते 60 नोटिस दिए हैं। हकीकत क्या है कि विभागीय दस्तावेजों में 60 नोटिस तो काटे गए हैं, लेकिन वह केवल शहर में ही काटे गए हैं और टारगेट पूरा करके अफसर मौन हो गए। पिछले बीस दिनों से मलेरिया विभाग दिखने लगा।
विभाग लगातार सक्रिय है और नोटिस भी काटें हैं, 60 नोटिस काटे हैं और लोगों को जागरूक किया है। ऐसा भी नहीं है कि केवल शहर में नोटिस काटे हों, गांव में भी नोटिस काटे गए हैं और आगे भी अभियान जारी है।
डॉ. वीके शर्मा, जिला मलेरिया अधिकारी