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देश पर जान कुर्बान, उनकी शान में नहीं कोई इंतजाम

देश की सीमाओं पर जब-जब संकट की घड़ी आती है या फिर जवान शहीद होते हैं तो जिले की जनता, संगठनकारी, नेताओं और अफसरों में देश भक्ति जागती...

देश की सीमाओं पर जब-जब संकट की घड़ी आती है या फिर जवान शहीद होते हैं तो जिले की जनता, संगठनकारी, नेताओं और अफसरों में देश भक्ति जागती...
1/ 3देश की सीमाओं पर जब-जब संकट की घड़ी आती है या फिर जवान शहीद होते हैं तो जिले की जनता, संगठनकारी, नेताओं और अफसरों में देश भक्ति जागती...
देश की सीमाओं पर जब-जब संकट की घड़ी आती है या फिर जवान शहीद होते हैं तो जिले की जनता, संगठनकारी, नेताओं और अफसरों में देश भक्ति जागती...
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देश की सीमाओं पर जब-जब संकट की घड़ी आती है या फिर जवान शहीद होते हैं तो जिले की जनता, संगठनकारी, नेताओं और अफसरों में देश भक्ति जागती...
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हिन्दुस्तान टीम,बदायूंMon, 22 Jun 2020 12:50 AM
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देश की सीमाओं पर जब-जब संकट की घड़ी आती है या फिर जवान शहीद होते हैं तो जिले की जनता, संगठनकारी, नेताओं और अफसरों में देश भक्ति जागती है।

मगर यह देश भक्ति केवल मोबाइल और कैमरे से फोटो खिचवाने तक सीमित है। उसके आगे शहीदों के स्थल को लेकर किसी कोई गंभीरता नहीं हैं।उस पार्क में देशभक्ति दिखाने वाले लोग जाते हैं मगर वहां दो-दो फीट जगह पर साफ-सफाई को किसी के हाथ नहीं उठते हैं।

जिसकी वजह से आज भी शहीद पार्क बदहाली का शिकार है।जिला मुख्यालय पर कलक्ट्रेट स्थित शहीद पार्क की बदहाली को देखकर लगता है जिले के लोग एवं संगठनकारी, अफसर, नेता शहीदों के नाम देशभक्ति दिखाकर एक मजाक कर रहे हैं। पार्क में ऊंची-ऊंची घास जम आई है आसपास के लोगों ने कूड़ा डाल दिया है, रोशनी की व्यवस्था नहीं हैं।

साफ-सफाई करने वाला कोई नहीं हैं। यहां जो पौधरोपण में पौधे लगाए गए थे वह भी सूख गए हैं, बिना पानी के फुलबाड़ी सूख गई है। तैनात नहीं कोई सफाई कर्मीकलक्ट्रेट स्थित शहीद स्थल है शहीद पार्क बदहाली की शिकार है। यहां लोगों की माने तो पार्क पर कोई सफाई कर्मचारी तैनात नहीं दिखता।

नगर पालिका का यहां कोई कर्मचारी अगर आता होता तो पार्क के यह हाल नहीं होते। कैंडिल से आगे कोई नहीं दे पाया रोशनीशहीदों के श्रद्धांजलि के नाम पर तमाम संगठन एवं संस्थाओं के लोग यहां आते हैं दो पुष्प चढ़ाते हैं और दो कैंडल जलाते हैं इसके बाद फोटो खिंचवा कर चले जाते हैं।

इसके बाद पार्क की सफाई होनी चाहिए या नहीं, पार्क में रोशनी की व्यवस्था स्थाई होनी चाहिए या नहीं इस पर कोई गौर नहीं हैं। संगठनकारी केवल कैंडिल तक सीमित हैं शहीदों के स्थल पर स्थाई रोशनी व्यवस्था न करवा पाए हैं।

अफसर भी सिर्फ दो बार जाते

शहीद पार्क कलक्ट्रेट में हैं यहां डीएम-एसएसपी सहित जिम्मेदार अफसर भी यहां से निकलते तो रोज हैं मगर पार्क की व्यवस्था पर गौर नहीं करते हैं। अफसर केवल दो बार 26 जनवरी और 15 अगस्त को ही पुष्प चढ़ाने जाते हैं। इसलिए यहां व्यवस्था नहीं है।

यहां लोग सुखाते कपड़े

कलक्ट्रेट शहीद पार्क के पास सरकारी कालोनी हैं यहां रहने वाले कर्मचारियों के परिवार शहीदों की शाहदत से कोई मतलब नहीं हैं। उन्हें तो अपने कपड़े सुखाने से मतलब है, कपड़ा धोने के बाद शहीद पार्क में पहला देते हैं। इन कर्मचारियों ने आज तक साफ-सफाई का नाम नहीं लिया होगा।

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