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बिना बजट संकट में थीं कछला की गोशाला

अच्छा रहा प्रशासन ने 22 गोवंश की मौत के बाद जीवित गोवंशों को बिनावर रफियाबाद के वृह्द गोसंरक्षण केंद्र में भिजवा...

बिना बजट संकट में थीं कछला की गोशाला
हिन्दुस्तान टीम,बदायूंWed, 09 Oct 2019 01:26 AM
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अच्छा रहा प्रशासन ने 22 गोवंश की मौत के बाद जीवित गोवंशों को बिनावर रफियाबाद के वृह्द गोसंरक्षण केंद्र में भिजवा दिया। वरना कभी भी फिर गोवंशों की जान खतरे में पड़ सकती थी, क्योंकि नगर पंचायत के पास बजट ही नहीं है।

बिना बजट के यहां गोवंशों का जीवन भी संकट में था। पिछले दस महीने से गोवंशों के लिए केवल जीवनदान मिल रहा था, चारा कभी-कभार मिलता था और भूसा भी हिसाब से मिलता था।नगर पंचायत कछला की गोशाला में 76 गोवंश थे। जिनके भरण पोषण से लेकर देखभाल व पूरी जिम्मेदारी नगर पंचायत कछला की थी। जिसमें छह अक्टूबर को 22 गायों की मौत हो चुकी है और 32 का जीवन बचा लिया गया है।

संकट में फंसी गायों को अब बिनावर रफियाबाद के वृह्द गो संरक्षण केंद्र पर भेज दिया गया है। कछला गोशाला में गोवंश को बांधने के लिए थोड़ा सा टीनशेड था बाकी गोवंश खुले मैदान में बांधी जा रही थी। नगर पंचायत के अधिकारियों की माने तो शासन से गायों के भरण पोषण के लिए अलग से आज तक बजट नहीं दिया गया। केवल नगर पंचायत के बजट से गुजारा कर रहे थे।

बिना बजट के गाय संकट में थीं और चारा भी रोजाना नहीं मिल पा रहा था। सोरों का चारा सप्लायर कहता है कि गोशाला के लिए चारा तीसरे दिन सप्लाई किया जाता था। तीन दिन में निकाय नहीं निकाल पाया रिकार्डकछला नगर पंचायत के अधिकारी और कर्मचारियों की सुस्ती ने तो हद पार कर दी हैं। जब वह निकाय में उपलब्ध रिकार्ड को लेकर इतनी सुस्ती दिखा रहे हैं तो फिर गोशाला में गोवंशों के साथ कितनी लापरवाही करते होंगे यह समझ सकते हैं। छह अक्टूबर को गोवंशों की मौत हुई और उसके बाद शासन-प्रशासन से लेकर सीएम तक मामला पहुंच गया।

मगर कछला निकाय यह नहीं रिकार्ड निकाल पाया है कि गायों को निकाय के बजट से कितना धन खर्च किया था।बजट की कमी में एक दिन बाद आता था चाराकछला गोशाला में गोवंशों को केवल जीवन दिया जा रहा था, यहां बजट का बड़ा संकट था। जिसकी वजह से गोवंशों के लिए केवल जीवनदान भर के लिए चारा दिया था, क्योंकि सरकार ने अलग से बजट नहीं दिया था। निकाय के बजट से ही भरण पोषण था।

इसलिए खानपान में चारा में कंजूसी चल रही थी। चारा सप्लाई सोनू ने बताया कि कछला गोशाला के कर्मचारी उधारी में चारा ले रहे थे और चारा रोजाना नहीं लेते थे। तीसरे दिन चारा जाता था कहते थे अलग से बजट नहीं है।

सरकार ने गोशाला के लिए अलग से कोई बजट नहीं दिया है, निकाय के बजट चारा मंगाकर काम चला रहे थे। गोवंशों के लिए चारा और भूसा की कोई कमी नहीं है। बजट आएगा तो वह भी गोवंशों के लिए लगाएंगे।सुरेंद्र प्रताप सिंह, ईओ कछला नगर पंचायत

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