हृदय से करें प्रभु स्मरण तो जीवन होगा धन्य
गांव खंडवा में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह में पीठाधीश्वर रामचंद्र आचार्य ने श्रोताओं को काम क्रोध, मद, मोह लोग से दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा हृदय से किया गया प्रभु स्मरण मनुष्य के...
गांव खंडवा में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह में पीठाधीश्वर रामचंद्र आचार्य ने श्रोताओं को काम क्रोध, मद, मोह लोग से दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा हृदय से किया गया प्रभु स्मरण मनुष्य के मोक्ष के द्वार खोलने का काम करता है। इसलिए अपने मन को काबू में रखते हुए अपने हृदय को प्रभु चरणों में स्मृत रखिए। भागवत कथा के प्रथम दिन उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का महत्व समझाते हुए कहा, भगवत गीता में मनुष्य के जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सार समाहित है।
भागवत पुराण को सुनने और उसका अनुसरण करने से मनुष्य का जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने कहा, अगर आप बीमार हैं तो बिना दवा के ठीक नहीं होंगे, ठीक इसी प्रकार जब तक शास्त्र संगत अच्छा सत्संग नहीं करेंगे, तब तक मन का इलाज नहीं होगा। उत्तरकांड में गरुड़ जी ने पूछा कि प्रभु शरीर के रोग तो होते हैं जिनको मैं जानता हूं, लेकिन क्या मन के रोग भी होते हैं। तब उन्होंने गरुड़ जी को बताया, मनुष्य को मन के रोग जीवन भर तमाम भ्रांतियों में रखते हैं ऐसे में मन को काबू में रखना स्वयं के स्वास्थ्य को ठीक करने के बराबर है।