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मां-बेटी करेंगी स्वरोजगार तो जेल में बंद पिता भाइयों की जमानत होगी

घर में मां-बेटी कच्ची शराब बनाने की जगह सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर स्वरोजगार करती दिखेंगी तो प्रशासन भी उनकी मदद को आगे...

मां-बेटी करेंगी स्वरोजगार तो जेल में बंद पिता भाइयों की जमानत होगी
हिन्दुस्तान टीम,बदायूंFri, 18 Sep 2020 03:08 AM
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घर में मां-बेटी कच्ची शराब बनाने की जगह सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर स्वरोजगार करती दिखेंगी तो प्रशासन भी उनकी मदद को आगे आयेगा। मदद यह होगी कि कच्ची शराब के निर्माण के दौरान पकड़े गये। उनके परिवार के पुरुषों की जमानत बिना किसी हीलाहवाली के होगी। जमानत के बाद उन्हें भी रोजगार में परिवार के साथ जुटना होगा। इसके लिए पुलिस ने अपने स्तर से तैयारी करने के साथ ही गांव वालों को भी यह आश्वासन दिया है।

इससे पहले कच्ची का धंधा छोड़कर इन परिवारों को आत्मनिर्भर बनने की मुहिम शुरू करना होगी। कादरचौक के धनुपुरा गांव पर इस वक्त प्रशासन और पुलिस का पूरा फोकस है। वजह है कि यहां के लोग खुद शराब बनाने और बेचने के कारोबार से मुंह मोड़ना चाहते हैं। आर्थिक तंगी और जरूरतों के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। जहां पुलिस अधिकारियों के समझाने पर ये लोग कच्ची बनाने के उपकरणों समेत बर्तन पुलिस अधिकारियों को सौंप चुके हैं।

वहीं अब प्रशासन ने भी उन्हें भरोसा दिलाया है कि सरकारी योजननाओं का लाभ दिलाने समेत उन्हें बैंकों से ऋण दिलाकर कुटीर उद्योग लगवाये जायेंगे। इसके लिए बैंकों से भी पुलिस ने संपर्क साधा है। भट्ठों पर भी मिलेगी मजदूरी जिले में मौजूद ईंट भट्ठों पर मजदूरी के लिए गैर प्रांतों से मजदूर मंगवाये जाते हैं। गुरुवार को सीओ उझानी अनिरुद्ध सिंह ने कुछ भट्ठा मालिकों से संपर्क किया तो उन्होंने इस गांव के लोगों को मजदूरी देने पर सहमति जताई है। इस मजदूरी से भी इन परिवारों का पेट पलने में मदद मिलेगी।

जमानतें भी कराने का आश्वासन महिलाओं का कहना था कि उनके परिवारों के लोग कच्ची बनाने के आरोप में जेल में बंद हैं। इन लोगों की जमानत के लिए यह कारोबार करना पड़ रहा है। इसमें भागदौड़ बहुत होती है और खर्चा भी होता है। नतीजतन यह आश्वासन दिया गया कि अगर परिवार के अन्य लोग इस काम को छोड़कर ईमानदारी से अन्य करते हैं तो जमानत के आवेदन के बाद प्रशासनिक और पुलिस प्रक्रिया को आसान बनाया जायेगा। उन्हें थाने या तहसील की दौड़ धूप नहीं करना होगी, बल्कि इन कामों को प्राथमिकता से सिस्टम खुद सुलटायेगा। आगे की प्रक्रिया अदालत के आदेश पर होगी। अगर ये लोग अपना वैद्यानिक काम शुरू कर देते हैं तो जमानत की प्रक्रिया आसान कर दी जायेगी।

जमानत तस्दीक होने से लेकर जमानतियों को चक्कर नहीं लगाना होंगे। बल्कि उनकी यह प्रक्रिया प्राथमिकता के आधार पर पूरी की जायेगी। इसके बाद में अदालत में उन्हें खुद पैरवी करना होगी।

अनिरुद्ध सिंह, सीओ उझानी

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