ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश बदायूंमां के वचन सुनकर ध्रुव को हो गया वैराग्य

मां के वचन सुनकर ध्रुव को हो गया वैराग्य

कृष्णा विला में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन धाम से पधारे कथा वाचक बलराम कृष्ण शास्त्री ने धु्रव चरित्र का सुंदर वर्णन...

मां के वचन सुनकर ध्रुव को हो गया वैराग्य
हिन्दुस्तान टीम,बदायूंFri, 09 Aug 2019 01:25 AM
ऐप पर पढ़ें

कृष्णा विला में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन धाम से पधारे कथा वाचक बलराम कृष्ण शास्त्री ने धु्रव चरित्र का सुंदर वर्णन किया।

कथा श्रवण कर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए।शास्त्री ने कहा कि एक बार राजा उत्तानपाद सुरूचि के पुत्र उत्तम को गोद में लेकर बैठे थे। उसी समय बालक ध्रुव वहां आ गए और उनसे अपने पिता की गोद में बैठने की इच्चा जाहिर की। ध्रुव की सोतेली मां सुरुचि ने कठोर शब्दों में ध्रुव से कहा तू राजा का पुत्र है, लेकिन राज सिंहासन पर बैठने का अधिकारी नहीं।

तुम्हें अगर राज सिंहासन की इच्छा है तो परमपुरुष श्री नारायण की तपस्या आराधना कर और उनकी कृपा से मेरी कोख से जन्म ले, तब पिता की गोद में बैठना। माता के कठोर वचन सुनकर ध्रुव को बहुत क्रोध आया, लेकिन ध्रुव के पिता चुपचाप ये सब देखते रहे। मुंह से एक शब्द भी नहीं बोले और बालक ध्रुव पिता को छोड़कर माता सुनीति के पास आ गया।

मां ने ध्रुव से कहा कि बेटा तू उन भक्तवत्सल श्री भगवान का ही आश्रय ले। मां के वचन सुनते ही ध्रुव को वैराग्य हो गया और तपस्या के लिए वन की ओर चल दिए। कथावाचक देव व्यास ने कहा कि रास्ते में ध्रुव को नारद मुनि मिले।

उन्होंनेभक्ति का मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय दिया और भगवान की तपस्या करने को कहा। कठोर तपस्या और एक पैर से खड़े होने के कारण अंगूठे से दबकर पृथ्वी एक ओर को झुक गई। भूपेंद्र, रवि कुमार, दिनेश शर्मा, आचार्य संजीव मिश्रा, शिशांक मिश्रा, पवन कुमार, गुलाल सक्सेना मौजूद थे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें