धूमधाम से निकाली शिव विवाह शोभायात्रा
Badaun News - श्रीरामलीला महोत्सव कमेटी ने गांधी मैदान में मेला आयोजित किया। शोभायात्रा बिरूआबाड़ी मंदिर से शुरू होकर रामलीला मैदान में समाप्त हुई। इसमें झांकियों ने भक्तों का मन मोह लिया। इसके बाद नारद मोह की लीला...

श्रीरामलीला महोत्सव कमेटी की ओर से गांधी मैदान में मेला आयोजित किया गया। वहीं श्रीरामलीला महोत्सव चल रहा है। जिसमें मंचन में नारद मोह की लीला का मंचन किया गया। उससे पहले शहर में श्री शिव विवाह शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में झांकियों ने कमाल कर दिया। झांकियों के करतब देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे और धूम रही है। शहर में भ्रमण के बाद झांकियां रामलीला मैदान पहुंची और शोभायात्रा का समापन हुआ। रविवार को श्रीरामलीला महोत्सव कमेटी के तत्वावधान में शहर में श्रीशिव विवाह शोभायात्रा का आयोजन किया गया। श्रीशिव विवाह शोभायात्रा शहर के बिरूआबाड़ी मंदिर से दोपहर बाद चार बजे शुरू की गई।
बिरूआबाड़ी मंदिर से शोभायात्रा शुरू होकर पथिक चौक, पंजाबी चौक, मढ़ई चौक, शास्त्री चौक, खैराती चौक, नेहरू चौक, गोपी चौक, लोटनपुरा, लावेला चौक होते हुए, सकरी क्लीनिक मार्ग होते हुए रामलीला मैदान में जाकर श्रीशिव विवाह शोभायात्रा समापन हुई है। शोभायात्रा पर शहर में जगह-जगह भक्तों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शोभायात्रा में बैंडबाजों के साथ-साथ काली के अखाड़ा, इसके अलावा करीब दो दर्जन झांकियां शामिल रही हैं। जिसमें मुख्य आकर्षण का केंद्र नंदी एवं शिव तांडव का शो रहा है। इसमें काली अखाड़ा, भूतों की मंडली, शिव-पार्वती सहित झांकियां रही हैं। शोभायात्रा में श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष अरविंद कांत, रवींद्र कुमार मंत्री, रविनंदन गुप्ता कोषाध्यक्ष, अमर वैश्य, राजी वैश्य, मुनीष अग्रवाल, पंकज वैश्य, अरविंद कुमार, अनिल कुमार शामिल रहे। नारद मोह की लीला का हुआ मंचन शहर के गांधी मैदान में आयोजित श्रीरामलीला महोत्सव कमेटी द्वारा रामलीला में रविवार की रात को मंच पर नारद मोह की लीला का मंचन किया गया। दरभंगा बिहार से आये मिथिला नाट्य कला परिषद के कलाकारों ने लीला का मंचन किया। नारद मुनि हिमालय पर तप करने जाते हैं। इससे घबराकर देवराज इंद्र ने कामदेव को अप्सराओं सहित नारद की समाधि भंग करने के लिए भेजा। नारद की भक्ति को डिगाने में कामदेव व अप्सराएं विफल हो गईं। नारद को कामदेव पर विजय पाने का अहंकार हो गया। इसके बाद नारद एक मोहिनी के मोह में पड़ गए और उसके स्वयंवर में जाने के लिए भगवान विष्णु से उनके स्वरूप की मांग की। भगवान ने नारद को बंदर का रूप दे दिया। स्वयंवर में लोगों ने नारद का उपहास किया। जिस पर उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि जिस प्रकार से हम पत्नी के लिए तड़पे हैं, ठीक उसी प्रकार तुम भी पत्नी के वियोग में तड़पोगे और इन्हीं बंदरों के सहयोग के बाद तुम्हारा कल्याण होगा।
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