रमजान गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना रमजान गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना
सरायमीर हिन्दुस्तान संवाद मौलाना सैय्यद कमर अब्बास रिज़वी ने बताया कि रमज़ान इस्लामी...
सरायमीर हिन्दुस्तान संवाद
मौलाना सैय्यद कमर अब्बास रिज़वी ने बताया कि रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना है। इस माह के बारे में कु़रआन मजीद इस्लाम की पवित्र किताब सुरे बक़रा आयत 183 में बयान हुआ है। ऐ ईमान वालों तुम पर रोज़े वाजिब किए गए हैं,जैसे की तुम से पहले लोगों पर वाजिब था ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ। इस माह की विशेषताएं अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फित्र मनाते हैं। इसी लिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना यानी पुण्य और उपासना का माह माना जाता है इस महीने में शब-ए-क़द्र को क़ुरआन का नुज़ूल (अवतरण) हुआ। इसी लिये, इस महीने में कुरआन ज्यादा पढ़ना चाहिए।
लैलतुल क़द्र को वर्ष की सबसे पवित्र रात माना जाता है। कि रमजा़न के आखिरी दस दिनों के दौरान एक विषम संख्या वाली रात होती है,वह शबे क़द्र है! रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार कहा गया है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह इबादत ज़्यादा करता है। अपने परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए उपासना के साथ, कुरआन परायण, दान धर्म करता है। यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है। इस महीने में रोजेदार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। पैग़म्बर मोहम्मद सल्ल. से किसी सहाबी ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो तो क्या करें। तो हज़रत मुहम्मद(सल्ल.) ने जवाब दिया कि एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए। रमजा़न के तअल्लुक से हमें बेशुमार हदीसें मिलती हैं और हम पढ़ते और सुनते रहते हैं। लेकिन क्या हम इस पर अमल भी करते हैं। जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमें कंजूसी नहीं करना चाहिए। अल्लाह की राह में खर्च करना अफज़ल है। ग़रीब चाहे वह अन्य धर्म के क्यों न हो, उनकी मदद करने की शिक्षा दी गयी है। दूसरों के काम आना भी एक इबादत है मोहम्मद सल्ल. ने फरमाया है जो शख्स नमाज ,रोजे़ के साथ ईमान और एहतेसाब रखे,उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे। रोजा़ हमें ज़ब्ते नफ्स (खुद पर काबू रखने) की तरबियत देता है।
