
बंदी ने जेल के खाते में लगा दी सेंध, 52 लाख निकालकर कराई बहन की शादी; खरीदी बाइक
संक्षेप: जेल के सरकारी खाते से फर्जीवाड़ा कर 52 लाख से अधिक रुपये निकाले जाने के मामले में जिला कारागार के अफसरों की भी भूमिका संदिग्ध है। जेल से छूटने के बाद आरोपी चुराई गई चेकबुक पर जेल अधीक्षक के फर्जी साइन बनाकर 17 महीने तक रुपये निकालते रहे और जेल अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
यूपी की आजमगढ़ जेल में गजब हो गया है। जिला कारागार के वरिष्ठ्र अधीक्षक (Senior Superintendent) के सरकारी बैंक खाते से फर्जीवाड़ा कर 17 माह में 52 लाख से भी अधिक रुपये निकाले गए हैं। जेल से छूटने के बाद दहेज हत्या के आरोपी बंदी ने करीब 25 बार में जेल की चेकबुक से फर्जी हस्ताक्षर के जरिए रुपये निकाले। इन रुपयों से उसने बहन की शादी की। शादी में 25 लाख रुपये खर्च हुए। 10 लाख रुपयों से उसने कर्ज चुकाया और 3.75 लाख रुपये की बुलेट भी खरीदी थी। 52.85 लाख रुपयों से इतना खर्च करने के बाद जो बचा उसमें अन्य आरोपियों ने बंदरबाट कर ली।

जेल के सरकारी खाते से फर्जीवाड़ा कर 52 लाख से अधिक रुपये निकाले जाने के मामले में जिला कारागार के अफसरों की भी भूमिका संदिग्ध है। जेल से छूटने के बाद आरोपी चुराई गई चेकबुक पर जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 17 महीने तक रुपये निकालते रहे और जेल अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। जबकि बैंक से जेल अधीक्षक के मोबाइल पर लगातार रुपये निकाले जाने का मैसेज भी जाता रहा। 17 महीने बाद घटना की जानकारी होने पर शुक्रवार को नगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच की तो पूरा मामला खुल गया। खाते से कुल 52.85 लाख रुपये 17 महीने में निकाले गए थे। दहेज हत्या मामले में रामजीत यादव 20 मई 2024 को जेल से जमानत पर छूटा था। दूसरा बंदी शिवशंकर हत्या के आरोप में जेल में बंद था। दोनों जेल में निरुद्ध रहते हुए लेखा कार्यालय में वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के राइटर के रूप में काम करते थे। मुशीर अहमद और लेखा कार्यालय के चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय की मिलीभगत से दोनों ने चेकबुक चुरा ली। रामजीत के पास जेल की फर्जी मुहर थी। चेक पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक की मुहर और फर्जी हस्ताक्षर कर वह रुपये को अपने खाते में ट्रांसफर कराता था।
इस तरह से खुली फर्जीवाड़ा की पोल
जेल से एक बंदी को उपचार के लिए बीएचयू वाराणसी भेजा गया था। बंदी के उपचार में होने वाला खर्च वरिष्ठ जेल अधीक्षक के खाते से भुगतान किया गया था। बंदी के उपचार के बाद बीएचयू के खाते में कुछ रुपये बच गए थे। जिसे वरिष्ठ जेल अधीक्षक के बैंक खाते में लौटाया जाना था। इसकी जानकारी के लिए जेल अधीक्षक आदित्य कुमार ने बैंक से स्टेटमेंट मंगाया। जांच के दौरान पता चला कि 2.60 लाख रुपये रामीजत यादव उर्फ संजय यादव को भुगतान किए गए हैं। इसके बाद फर्जीवाड़े की पोल खुल गई।
दूसरे खाते में भी रुपये ट्रांसफर करने का शक
फर्जीवाड़ा के आरोपी रामजीत यादव ने कहां-कहां रुपये ट्रांसफर किए हैं, पुलिस इसकी जांच कर रही है। आशंका जताई जा रही है कि जेल के सरकारी खाते से रुपये निकालने के बाद उसने पत्नी और मां के अलावा अन्य लोगों के खातों में भी रुपये ट्रांसफर किए हैं। शनिवार को बैंक बंद होने के कारण इसकी जांच नहीं हो सकी। जेल के खात से रुपये निकालने की धोखाधड़ी में जेल के कर्मचारियों के शामिल होने का संदेह है।
रामजीत के खाते में पड़े 23 हजार कराया होल्ड
मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी मधुवन कुमार सिंह ने बताया कि रामजीत यादव ने जेल अधीक्षक के चौक स्थित कैनरा बैंक खाता से निकाले गए 25 लाख रुपये से 20 जनवरी 2025 को अपनी बहन की शादी की थी। इसी के साथ ही उसने 3.75 लाख रुपये से बुलेट खरीदी थी और 10 लाख रुपये वह मुकदमा में फंसने पर लोगों से लिए गए कर्ज को चुकता किया था। रामजीत यादव के यूनियन बैंक के खाते में शेष पड़े 23 हजार रुपये को पुलिस ने होल्ड कराया है। इसके साथ ही परिवारजनों के अकाउन्ट डिटेल को चेक कर होल्ड कराने की प्रकिया पुलिस कर रही है।
जेल के वरिष्ठ सहायक, चौकीदार के साथ दूसरे बंदी को मिले थे रुपये
जेल अधीक्षक के खाता से फ्राड कर निकाले गए 52.85 लाख रुपये में जेल के वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद को सात लाख रुपये मिले थे। जेल से छूटे दूसरे बंदी शिवशंकर यादव को पांच लाख रुपये मिला था। जबकि जेल के चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय 1.5 लाख रुपये मिले थे।
एसपी सिटी मधुवन कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी रामजीत यादव उर्फ संजय निवासी जमुआ शाहगढ़ थाना बिलरियागंज, शिवशंकर यादव निवासी चकमेउआ थाना रानी की सराय, वरिष्ठ सहायक जिला कारागार मुशीर अहमद निवासी कनौजा खुर्दा थाना फूलपुर जनपद प्रयागराज, चौकीदार जिला कारागार अवधेश कुमार पांडेय निवासी सहतवार थाना सहतवार जनपद बलिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
पुलिस ने बुलेट और मोबाइल किया बरामद
नगर कोतवाली की पुलिस ने गिरफ्तार चारो आरोपियों में रामजीत यादव के कब्जे से जेल अधीक्षक के खाते से निकाले गए गए रुपये से खरीदी गयी बुलेट मोटर साइकिल, एक मोबाइल फोन, मोबाइल से बैंक चेक की फोटो और बैंक स्टेटमेंट, वरिष्ठ जेल अधीक्षक जिला कारागार आजमगढ़ के नाम की बनी एक मोहर बरामद की है।
सभी करते थे सहयोग, तब निकलता था रुपये
जेल से छूटे बंदी रामजीत यादव का जेल से छूटे दूसरे बंदी शिव शंकर यादव उर्फ गोरख यादव, वरिष्ठ सहायक जिला कारागार मुशीर अहमद, जेल चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय मिलकर सहयोग करते थे। जिला कारागार से ब्लैंक चेक निकाल कर लाते थे। इसके बाद रामजीत यादव वरिष्ठ अधीक्षक जिला कारागार की मुहर लगाकर और उनका फर्जी हस्ताक्षर बना कर चेक को रामजीत अपने एकाउन्ट में लगाकर पैसा निकालता था। इसके बाद इसका बंदर बाट होता था।





