मणि पर्वत के झूलनोत्सव के साथ सावन मेला का शुभारम्भ
हरियाली तीज लाखों श्रद्धालु पहुंचे अयोध्या, सरयू में लगाई डुबकी, किया दर्शन-पूजन कनक भवन व
हरियाली तीज लाखों श्रद्धालु पहुंचे अयोध्या, सरयू में लगाई डुबकी, किया दर्शन-पूजन
कनक भवन व दशरथ राजमहल समेत दर्जनों मंदिरों से निकाली गयी शोभायात्रा
फ्लैग: कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने मणि पर्वत के शिखर पर स्थित मंदिर में भगवान का किया दर्शन व अलग-अलग मंदिरों की झूलन झांकी का लिया आनंद
अयोध्या। संवाददाता
'झूलैं नवल हिंडोर, पिया प्यारी संग बनी ठनी स्यामा..' रसिकाचार्यो के रचित इन पदों के गायन के साथ मणि पर्वत का झूलनोत्सव सांझ धुंधलके के साथ अपने चरम पर पहुंच गया। एक तरफ सावन झूला मेला का श्रीगणेश हो गया तो दूसरी ओर वैष्णव नगरी के मंदिरों में भी झूला महोत्सव शुरू हो गया है। सावन पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेला में अध्यात्म के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंच गये हैं। इन श्रद्धालुओं ने मणि पर्वत के शिखर पर स्थित भगवान श्रीसीताराम का दर्शन कर अपने नेत्रों को धन्य किया व अलग-अलग मंदिरों की झूलन झांकी का दर्शन कर आनंद की अनुभूति की।
लाखों श्रद्धालुओं ने मां सरयू के पुण्य सलिल में डुबकी लगाई:
हरियाली तीज यानि सावन शुक्ल तृतीया के पर्व पर बुधवार को आयोजित मणि पर्वत के झूलनोत्सव के अवसर पर सुबह से ही दर्शनार्थी भक्तों की लंबी कतार लगी थी। इन श्रद्धालुओं को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच त्रिस्तरीय बैरीकेडिंग पर रोक-रोककर जत्थों में ऊंचाई पर स्थित मंदिर में दर्शन के लिए भेजा गया। इन सीढ़ियों पर फिसलन से बचाव के लिए बालू का भी छिड़काव किया गया था। प्रशासनिक अफसरों की मानें तो सुबह से लेकर देर शाम तक करीब दो लाख से अधिक श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचे। इसके पहले यहां पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं ने मां सरयू के पुण्य सलिल में डुबकी लगाई और नागेश्वर नाथ मंदिर, हनुमानगढ़ी व कनक भवन सहित श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला का दर्शन पूजन किया। वहीं इसके बाद मणि पर्वत की ओर रुख किया।
जयघोष के साथ दर्जनों मंदिरों से धूमधाम से निकाली गयी भगवान की शोभायात्रा:
मणि पर्वत के झूलनोत्सव की परम्परा में विभिन्न मंदिरों से भगवान के विग्रहों व उनके स्वरुपों को यहां लाकर उनकी झूलन झांकी सजाई जाती है। फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस परम्परा के निर्वहन में दर्जनों मंदिरों से बैंड-बाजे के साथ धूमधाम से भगवान की शोभायात्रा निकाली गयी। यह सभी शोभायात्राएं मणि पर्वत के विस्तृत परिसर में अलग-अलग नियत स्थानों पर पहुंची, जहां भगवान को झूले पर प्रतिष्ठित कर उनकी आरती उतारी गयी। पुनः सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारम्भ हो गया। देर शाम के बाद झूलन झांकी को विराम देकर भगवान मंदिरों में वापस लाया गया और फिर यहां अगले पूर्णिमा तक के लिए झूले पर ही प्रतिष्ठित कर दिया गया। अब यहां प्रतिदिन सायं अध्यात्म के साथ गीत- संगीत की त्रिवेणी प्रवाहमान रहेंगी। फिलहाल यहां कनक भवन, दशरथ राजमहल बड़ा स्थान, रंगमहल, रामवल्लभा कुंज, मणिराम छावनी, रामहर्षण कुंज, जानकी महल, हनुमत निवास, सदगुरू सदन, विअहुति भवन व रामसखी मंदिर सहित अन्य मंदिरों से विराजमान भगवान को लाया गया।
रजत डोली में मणि पर्वत पहुंचे कनकबिहारी -बिहारिणी जू, मार्ग हुई आरती
अयोध्या। मणि पर्वत के झूलनोत्सव में विभिन्न मंदिरों से निकली भगवान की शोभायात्रा का यात्रा के मार्ग में स्थान -स्थान पर संत-महंतो व गृहस्थ जनों आरती उतार कर भगवान का स्वागत किया। उधर कनक भवन से भगवान कनकबिहारी -बिहारिणी जू की शोभायात्रा रजत डोली पर निकाली गयी।
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