श्रीरामचरितमानस और भारतीय संविधान के आदर्शों पर हुई चर्चा
Ayodhya News - डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में ‘धर्म, नीति और न्याय’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. अशोक कुमार मिश्र ने बताया कि श्रीरामचरितमानस शासन और न्याय का जीवनदर्शन है।...

अयोध्या, संवाददाता। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विधि विभाग में सोमवार को प्राक्-दीक्षांत सप्ताह के तहत व्याख्यान का आयोजन कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम का विषय ‘धर्म, नीति और न्याय रहा। श्रीरामचरितमानस के आलोक में भारतीय संविधान की व्याख्या पर मुख्य वक्ता रहे साकेत महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष वाणिज्य विभाग प्रो. अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि श्रीरामचरितमानस केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि शासन और न्याय का जीवनदर्शन है। धर्म, नीति और न्याय ये तीनों भारतीय संविधान की आत्मा के रूप में आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने श्रीराम के युग में थे। उन्होंने कहा कि रामराज्य की भावना लोककल्याणकारी राज्य की आधुनिक अवधारणा के समान है, जिसमें न्याय, समानता और करुणा का समन्वय निहित है।
विधि संकाय अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार राय ने कहा कि विधि के विद्यार्थी केवल विधिक प्रावधानों तक सीमित न रहें, बल्कि उनके नैतिक और सांस्कृतिक मूल स्रोतों को भी समझें। श्रीरामचरितमानस और संविधान दोनों ही समाज में न्याय और संतुलन की प्रेरणा देते हैं। डॉ. वंदना गुप्ता ने कहा कि रामराज्य की संकल्पना में स्त्री सम्मान, समानता और न्याय की जो भावना निहित थी, वही भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में अभिव्यक्त होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधि विभाग के समन्वयक द्वारा किया गया। सत्र के अंत में विद्यार्थियों के प्रश्नोत्तर सत्र में विचार संवाद हुआ। कार्यक्रम में दिलीप शुक्ला सहित एलएलएम के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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