Ayodhya District Hospital Faces Sanitation Crisis Amidst Poor Road Conditions and Garbage Issues बोले अयोध्या:अस्पतालों में है अजब इंतजाम अंदर साफ,बाहर कूड़ा तमाम, Ayodhya Hindi News - Hindustan
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बोले अयोध्या:अस्पतालों में है अजब इंतजाम अंदर साफ,बाहर कूड़ा तमाम

Ayodhya News - जिला अस्पताल के पास कूड़ा घर और खराब सड़क की स्थिति से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। बरसात में कूड़े की बदबू फैल जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। कई बार प्रस्ताव भेजने के बावजूद सफाई व्यवस्था...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याSun, 24 Aug 2025 05:55 PM
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बोले अयोध्या:अस्पतालों में है अजब इंतजाम अंदर साफ,बाहर कूड़ा तमाम

जिला अस्पताल में रैन बसेरे से होकर जाने वाले मार्ग में महिला चिकित्सालय के पास कूड़ा घर है। जहां जिला अस्पताल का कूड़ा इकठ्ठा होता है। कूड़ा घर के सामने की सड़क काफी खराब है। बरसात के दिनों में कूड़ा घर से निकल कर गंदगी बाहर पड़ी रहती है। इस सड़क व कूड़ा घर का प्लेटफार्म बनवाने के लिए कई बार जिला अस्पताल से प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन प्रस्ताव को मुख्यालय की स्वीकृति नहीं मिली। जिला अस्पताल की सफाई व्यवस्था को लेकर भी कई बार प्रश्नचिन्ह उठते रहते है। अस्पताल की दशा व दिशा पर हिन्दुस्तान बोले टीम की एक रिपोर्ट... अयोध्या।

जिला अस्पताल में रैन बसेरे से होते हुए महिला अस्पताल जाने वाला रास्ता खराब होने के कारण मार्ग पर स्थित कूड़ा घर से बरसात में कई बार गंदगी बहकर बाहर निकल आती है। जिससे यहां बरसात के समय बदबू फैल जाती है। कूड़ा घर में बारिश का पानी इकठ्ठा हो जाता है। लेकिन उसे निकालने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे बदबू और बढ़ जाती है। सड़क की जर्जर स्थिति और कूड़ा घर से निकलने वाली गंदगी मिलकर संक्रमण का खतरा बढ़ा देती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए कई बार प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा गया, मगर अब तक स्वीकृति न मिलने से हालात जस के तस बने हुए हैं। बरसात का मौसम आते ही इस कूड़ाघर से अस्पताल का कूड़ा बाहर फैलने लगता है। गंदगी कूड़ा घर के बाहर जमा हो जाती है। जिससे इस रास्ते से गुजरने वालें मरीजों, तीमारदारों को बदबू का सामना करना पड़ता है। इसी रास्ते से होकर जिला अस्पताल से इंट्रीगेटेड पब्लिक हेल्थ लैब मरीज स्ट्रेचर व व्हील चेयर से जाते है। महिला व जिला अस्पताल को जोड़ने वाले इस रास्ते में रोजाना बड़ी संख्या में लोगो का आना जाना रहता है। जिला अस्पताल में वार्ड तो साफ सुथरे रहते है, लेकिन परिसर की सफाई व्यवस्था पर कई बार सवाल उठते रहे हैं। इससे सबसे बड़ा रोल तीमारदारों के जागरुक न रहने का होता है। कई बार जैसे अस्पताल की सफाई होती है, ठीक उसी के बाद भर्ती मरीज व तीमारदार कूड़ा फेंक देते है। लोग खाने पीने का सामान भी इधर उधर फेंकते रहते है। पान मसाला खाकर लोग इधर उधर थूकते भी रहते है। जिससे अस्पताल में सफाई करने वाले भी परेशान रहते है। जब किसी तीमारदार को इसके लिए मना किया जाता है। तो वह विवाद करने पर उतारु हो जाता है। कई बार विवाद मारपीट तक भी पहुंच जाता है। वहीं सफाई व्यवस्था को लेकर प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने ठेका लेने वाली संस्था को 30 जुलाई और 20 मई को नोटिस जारी कर सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए निर्देश दिए थे। नोटिस में कहा गया कि यदि सफाई व्यवस्था सुधरी नहीं तो अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि नोटिसों का कोई ठोस असर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है। 21 अगस्त को मण्डलायुक्त राजेश कुमार ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। उस दौरान उन्हें अस्पताल में कई जगह गंदगी दिखाई दी। जिसको लेकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त किया तथा प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक से सफाई व्यवस्था को सही करने के लिए निर्देश जारी किया। इसके साथ में अस्पताल का ड्रेनेज सिस्टम भी खराब हालत में है। नाला बार-बार चोक हो जाता है, जिसकी वजह से पानी जमा होकर दीवारों में सीलन कर देता है। यह सीलन सीधे अस्पताल की इमारत और उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकती है। आईसीयू में लगी मशीनें भी इससे खराब हो सकती है। बरसात में महिला अस्पताल जाने वाले रास्ते के बिगड़ जाते है हालत: जिला अस्पताल के कूड़ा घर की समस्या सामान्य दिनों में भी परेशान करती है, लेकिन बरसात के मौसम में यह बड़ा रूप ले लेती है। बारिश की वजह से कूड़ा घर में पानी भर जाता है। जिससे कूड़ा बहकर बाहर आ जाता है। जिससे यहां बदबू काफी ज्यादा फैल जाती है। कीचड़ और दुर्गंध से यहां से गुजरना बेहद मुश्किल हो जाता है। तीमारदारों का कहना हैं कि बारिश होते ही इस मार्ग से गुजरने से लोगो को दिक्कतें रहती है। जिला अस्पताल से महिला चिकित्सालय जाने वाले रास्ते में बड़ी संख्या में मरीज आते-जाते रहते है। यहांसे इंट्रीगेटेड पब्लिक हेल्थ लैब व महिला अस्पताल कई मरीज व्हील चेयर अथवा स्ट्रेचर से जाते है। लेकिन कूड़ा घर के सामने के सड़क की स्थिति ऐसी है कि इन्हें ले जाना बेहद मुश्किल हो जाता है। तीमारदारों हैं कि कई बार स्ट्रेचर गड्ढे में फंस जाता है, जिससे मरीज को हिला-डुलाकर निकालना पड़ता है। यह स्थिति मरीज के लिए तकलीफदेह होने वाली रहती है। इसके साथ में इस मार्ग से छोटे बच्चों और बुजुर्ग मरीजों को ले जाना और भी कठिन हो जाता है। सफाई का ठेका लेने वाली संस्था पर भी है सवाल:जिला अस्पताल की सफाई कर्मचारियों को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निजी संस्था के पास है। लेकिन कई बार शिकायतों और नोटिस के बावजूद यह संस्था अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभाने में नाकाम साबित हो रही है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने 30 जुलाई और 20 मई को संस्था को नोटिस भेजकर चेतावनी दी थी कि यदि सफाई व्यवस्था नहीं सुधरी तो अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। नोटिस का असर सीमित ही रहा। लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण तीमारदारों का जागरुक न रहना है। अस्पताल की सफाई तो लगातार होती रहती है। लेकिन तीमारदार इसे लगातार गंदा भी करते रहते है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय सिंह गौतम ने बताया कि दो बार संस्था को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें सफाई न होने पर अग्रिम कार्रवाई करने की बात कही गयी थी। सही ड्रेनेज सिस्टम न होने से चोक हो जाता है नाला:अस्पताल का ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं है। नाले का पानी बार-बार चोक हो जाता है। इससे नाले से सटी अस्पताल की दीवारों में सीलन बनी रहती है। नाले की यह स्थिति मरीजों की सेहत के लिए खतरा बन सकती है। यही नहीं, अस्पताल में मौजूद महंगी मेडिकल मशीनों पर भी इसका असर पड़ता है। आईसीयू में रखी मशीनें सीलन की वजह से खराब होने की आशंका रहती है। अक्सर नाले के चोक होने के बाद अस्पताल प्रशासन जब नगर निगम को कई बार पत्र लिखता है। तो यहां की सफाई होती है। जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे को निरीक्षण के दौरान नगर निगम व अस्पताल के बीच साफ सफाई को लेकर समन्वय नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने सफाई के लिए निर्देश जारी किया। बरसात के मौसम में नाला चोक होने पर मच्छर और मक्खियां पनपने की सम्भावना रहती है। इससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का डर हमेशा बना रहता है। कूड़ा घर को कहीं और स्थानांतरित करने की मांग:अस्पताल आने वाले मरीज, कर्मचारी और स्थानीय लोग सभी चाहते हैं कि इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकले। लोग कहते हैं कि कूड़ा घर के सामने एक प्लेटफार्म बनना चाहिए ताकि गंदगी बाहर न फैले। इसके साथ में यहां इकठ्ठा होने वाले बारिश के पानी को निकालने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं कूड़ा घर को जिला व महिला अस्पताल मार्ग पर न होकर कहीं दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग भी तीमारदार करते रहते है। जिससे लोगो को गंदगी का सामना न करना पड़े। ड्रेनेज सिस्टम व सड़क निर्माण के लिए कई बार भेजा गया प्रस्ताव:जिला अस्पताल के ड्रेनेज सिस्टम को सही करने व जनरल वार्ड के पीछे से महिला अस्पताल जाने वाले रास्ते को सही करने के लिए मुख्यालय करीब 24 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है। कई अधिकारियों ने भी निरीक्षण के दौरान इस रास्ते को सही कराने के लिए कहा था। मण्डलायुक्त ने 21 अगस्त को अपने निरीक्षण के दौरान इस रास्ते के बारें मे जानकारी मांगी। जिसके बाद उन्होंने अपने स्तर से इसके लिए मुख्यालय प्रस्ताव भेजने का आश्वासन दिया। जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय सिंह गौतम ने बताया कि इसके लिए चार जून, छह जुलाई व 26 जुलाई को मुख्यालय प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। इसके बारें में मण्डलायुक्त को जानकारी दी जाएगी। तीन शिफ्ट में होती है जिला अस्पताल की सफाई:जिला अस्पताल में लखनऊ निराला नगर की संस्था एनएन कपूर को अस्पताल में स्वच्छता के लिए सफाई कर्मचारियों को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मिली है। जिसके लिए संस्था ने यहां 32 सफाई कर्मचारियों की यहां नियुक्ति की है। इन कर्मचारियों की ड्यूटी तीन शिफ्ट में लगायी जाती है। जिन्हें नियमित अस्पताल की सफाई करने का निर्देश जारी किया गया है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय सिंह गौतम ने बताया कि स्वच्छता को लेकर अस्पताल का लगातार निरीक्षण किया जाता है। सफाई कर्मी नियमित सफाई में लगे रहते है। लेकिन इसके बाद भी कई बाद जागरुकता के अभाव में लोग स्वच्छता का ध्यान नहीं देते है। बोले मरीज व तीमारदार-: ---- अस्पताल में पहले जैसी गंदगी अब नहीं है। सफाई व्यवस्था में काफी सुधार दिखता है। हां कभी-कभी बाहर कुछ कचरा दिख जाता है। इसके लिए मरीजों व परिजनों को भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। -हरनाम सिंह हमको लगता है कि अस्पताल में वार्ड और ओपीडी की सफाई बहुत अच्छी है। लेकिन परिसर में थोड़ी-बहुत गंदगी दिखाई देती है। अगर लोग खुद स्वच्छता पर ध्यान दें तो स्थिति और बेहतर होगी। -अजय कुमार सफाई पहले से कहीं ज्यादा बेहतर है। वार्ड और इमरजेंसी में सफाई देखकर संतोष होता है। दिक्कत सिर्फ यह है कि लोग खुद भी गंदगी फैलाते हैं। उन्हें जागरुक करना जरूरी है। -हरिराम वार्ड और इमरजेंसी एकदम साफ-सुथरे रहते हैं। बस बाहर आने-जाने वाले रास्तों पर गंदगी नजर आ जाती है। इसके लिए सफाईकर्मी और जनता दोनों को जिम्मेदार बनना चाहिए। लोगो को स्वच्छता का ख्याल रखना चाहिए। राम उदित दास अस्पताल के अंदर सफाई व्यवस्था देखकर हमें खुशी होती है। ओपीडी और वार्ड बहुत अच्छे से साफ रखे जाते हैं। हाँ, कभी-कभी परिसर के कोनों में कचरा दिख जाता है। इस पर अस्पताल प्रशासन को ध्यान देना होगा। अभिषेक पहले की तुलना मे अब सफाई में काफी सुधार हुआ है। बस जरूरत है कि लोगों को समझाया जाए कि कूड़ा इधर-उधर न डालें। अगर लोग जागरुक हो जाएगें तो सारी व्यवस्था खुद सुधर जाएगी। हरिश्चंद इमरजेंसी और वार्ड के अंदर सफाई व्यवस्था संतोषजनक है। बाहर के हिस्सों में थोड़ी गंदगी नजर आती है। अगर सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी जाए तो यह समस्या भी खत्म हो जाएगी। गुरफान हमें लगता है कि अस्पताल में सफाई पहले से बेहतर है। लेकिन गंदगी फैलाने वाले मरीज और उनके तीमारदार ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। अगर लोग जागरूक होंगे तो अस्पताल हमेशा साफ रहेगा। - झगरु यादव यहां के वार्ड और ओपीडी साफ-सुथरे दिखते हैं। सफाई कर्मचारी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन अस्पताल परिसर में गंदगी दिखाई दे जाती है। इसके लिए जिम्मेदार लोगो का जागरुक न होना है। लोगो को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। -मोहम्मद वसीम पहले यहां आते थे तो गंदगी देखकर परेशानी होती थी। अब सफाई व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। हाँ, बीच-बीच में कभी कभार कचरा दिखता है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन को और सख्ती करनी होगी। -शाहिदा खातून इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक सफाई ठीक रहती है। बाहर की सड़कों पर थोड़ी गंदगी दिख जाती है। लोगों को खुद ध्यान रखना चाहिए कि वे अस्पताल की साफ-सफाई बिगाड़ें नहीं। अभी भी लोगो में जागरुकता का अभाव है। -अभिषेक कुमार हम देखते हैं कि अस्पताल का ज्यादातर हिस्सा साफ रहता है। लेकिन बाहर आने-जाने के मार्ग में गंदगी दिखाई देती है। इसका सबसे बड़ा कारण लोगो का जागरुक न रहना है। इसके प्रति सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। -प्रतिमा कुछ वर्ष पहले की तुलना में अब अस्पताल की सफाई देखकर अच्छा लगता है। वार्ड और ओपीडी साफ दिख रही है। मगर परिसर में कहीं-कहीं गंदगी कभी कभार दिख जाती है। इसका कारण लोगो का गंदगी फैलाना है। -सुनीता अस्पताल के अंदरूनी हिस्सों की सफाई काबिले तारीफ है। लेकिन मरीजों और तीमारदारों को भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। अगर वे कूड़ा न फैलाएं तो अस्पताल और भी स्वच्छ रहेगा। -रिया बोले जिम्मेदार: इस बारे में सीएमएस डॉ. अजय प्रताप गौतम का कहना है कि स्वच्छता का ठेका लेने वाली संस्था को 30 जुलाई व 20 मई को नोटिस भेजी गयी है। सफाई सही न करने पर उन्हें अग्रिम कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने व महिला अस्पताल जाने वाले मार्ग निर्माण के प्रस्ताव का रिमांडर चार जून, छह जुलाई व 26 जुलाई को भेजा जा चुका है।

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