डीएनए जांच के लिए लिया गया अयोध्या गैंगरेप पीड़िता के भ्रूण का सैंपल, जल्द आएगी रिपोर्ट
अयोध्या में गैंगरेप की शिकार हुई नाबालिग के भ्रूण का डीएनए सैंपल लेकर लैब को भेजा गया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट आने की संभावना है। मंगलवार को पीड़िता का गर्भपात कराया गया था।
Ayodhya Gang rape Case: यूपी के अयोध्या में गैंगरेप की शिकार हुई नाबालिग के भ्रूण का डीएनए सैंपल लेकर लैब को भेजा गया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट आने की संभावना है। मंगलवार को पीड़िता का सुरक्षित गर्भपात कराया गया था। माना जा रहा है कि इसी दौरान डीएनए सैंपल भी लिया गया। हालांकि इस मामले में केजीएमयू प्रशासन ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है।
पीड़िता को सोमवार को अयोध्या के महिला जिला चिकित्सालय से क्वीनमेरी रेफर किया गया था। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम पीड़िता की सेहत की निगरानी कर रही है। तबीयत में सुधार और रिपोर्ट ठीक आने पर गर्भपात की प्रक्रिया पूरी की गई। पीड़िता का परिवार उसके साथ है।
दुष्कर्म मामले में नाबालिग और आरोपी दोनों का डीएनए जरूरी
अयोध्या गैंगरेप केस में डीएनए टेस्ट को लेकर सियासी माहौल गर्म था। सपा और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला अब भी जारी है। वैसे ऐसे हर मुकदमे में पुलिस अनिवार्य रूप से डीएनए टेस्ट कराती ही है। जिस मामले में पीड़ित गर्भवती हो जाए और वह नाबालिग हो तो उस केस में यह और भी जरूरी हो जाता है।
कानून के जानकार कहते हैं कि डीएनए टेस्ट के आधार पर कोई आरोपी बच जाए, ऐसा जरूरी भी नहीं है। यह फॉरेंसिक जांच का एक हिस्सा है साक्ष्य में जरूरी तथ्यों में से एक यह भी है। मुकदमे में अभियुक्तों के खिलाफ यदि दुष्कर्म की पीड़िता ने 164 का बयान भी दे दिया तो वह भी उसे दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त है।
वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर केसी खरे कहते हैं कि सीआरपीसी की धारा 53 ए के उपबंध दो में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि आरोपी के स्पेसीमेन का डीएनए कराना चाहिए। इसी बात का नए कानून में भी 52 के उपधारा 2 के सेक्शन चार में उल्लेख किया गया है। उन्होने बताया कि पुलिस को भदरसा मामले में पीड़िता के साथ ही आरोपियों का भी डीएनए कराना चाहिए। कभी कभी पुलिस ऐसा नहीं भी करती है तो कोर्ट में अपील करके ऐसा आदेशित कराया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि क्योंकि पीड़िता नाबालिग है इसलिए और भी जरूरी हो जाता है कि उसका डीएनए आरोपियों के डीएनए से मैच कराया जाय लेकिन यदि कोई यह भ्रम पाल ले कि किसी का डीएनए मैच न करे तो वह दोषी नहीं है, ऐसा भी नहीं है। पीड़ित ने यदि बयान दे दिया है तो भले ही डीएनए मैच न करे उसे दोषी साबित करना पुलिस के लिए कठिन नहीं होगा। खास ये है 12 हफ्ते के गर्भ में केवल एक ही आरोपी का डीएनए मैच करेगा। पूरा कलंदर प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र सिंह ने बताया कि यह हमारी विवेचना का हिस्सा है। फोरेंसिक जांच में एक कालम ये भी है, विवेचक अपनी जांच की प्रक्रिया के इस अहम हिस्से की डीएनए जांच के लिए प्रक्रिया शुरू करेंगे।
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