ईश्वर की भक्ति करने की कोई आयु नही होती:आचार्य आशुतोष शुक्ल
एरवाकटरा। हिन्दुस्तान संवाद एरवाकटरा में ऐरावत मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का पाठ श्रीधाम वृन्दावन...
एरवाकटरा। हिन्दुस्तान संवाद
एरवाकटरा में ऐरावत मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का पाठ श्रीधाम वृन्दावन से पधारे आचार्य आशुतोष शुक्ल जिज्ञासु महाराज जी द्वारा किया जा रहा है। आज कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य आशुतोष महाराज ने कथा का श्रवण कर रहे भक्तजनों को भक्त ध्रुव की कथा सुनाई।
आचार्य आशुतोष महाराज ने बताया कि भगवान की भक्ति और साधना की कोई आयु नहीं होती। यदि सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए तो वह अपने भक्तों का उद्धार अवश्य करते हैं। उन्होंने भक्त ध्रुव की कथा सुनाते हुए कहा कि किस तरह पांच वर्ष पांच माह के छोटे से बालक ने अपनी सच्ची भक्ति से भगवान को प्रसन्न कर लिया और भगवान ने भक्त ध्रुव की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें सदैव चमकते रहने और अटलता का वरदान दिया। भगवान को पाने के लिए हमारे कई ऋषियों मुनियों ने हजारों वर्षों तक तपस्या की लेकिन भक्त ध्रुव की छोटी सी उम्र में निस्वार्थ और निश्छल सच्ची भक्ति से ईश्वर को प्रसन्न किया। भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए भी नरसिंह रूप धारण करके ठीक वैसे ही रक्षा करते हैं जैसे भक्त प्रहलाद की रक्षा की।
इसलिए बुढ़ापे में भक्ति और साधना करेंगे ऐसा सोचकर मत बैठो। आप गृहस्थ जीवन में अपनी जिम्दारियों के निर्वहन के साथ साथ भगवान को भी याद करते चलो और दीन दु:खियों की सेवा और मदद करना भी भगवान की भक्ति ही है। इसलिए सदैव भगवान का स्मरण करते रहो ईश्वर आपकी जीवन रूपी नौका अवश्य पार लगाएगा।