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एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने परिवार से साझा किए अनुभव, सिर में हल्का दर्द, संतुलन बनाने प्रेक्टिस की

एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने परिवार से साझा किए अनुभव, सिर में हल्का दर्द, संतुलन बनाने प्रेक्टिस की

संक्षेप: Astronaut Shubhanshu Shukla: शुभांशु शुक्ला ने परिवार से  अनुभव साझा किए।बताया कि जब अन्तरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुंचे तो एक वक्त उस वातारण में खुद को ढालने में लगा। इस बीच शुरुआत के तीन दिन रह रह कर सिर में हल्का दर्द महसूस होता था।

Mon, 25 Aug 2025 09:35 AMDeep Pandey लखनऊ, हिन्दुस्तान
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Astronaut Shubhanshu Shukla: स्पेस में शुरुआती तीन दिन ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके अन्य सहयोगियों के लिए बड़ी चुनौती रहे। भारत लौटने के बाद अपने परिवार से फोन पर अलग-अलग समय हो रही बातचीत में उन्होंने ये अनुभव साझा किए। बताया कि जब अन्तरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुंचे तो एक वक्त उस वातारण में खुद को ढालने में लगा। इस बीच शुरुआत के तीन दिन रह रह कर सिर में हल्का दर्द महसूस होता था। संतुलन बनाने की कोशिश की।

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उन्होंने अपने पिता शंभूदयाल और मां आशा को फोन पर बताया कि स्पेस में शरीर पहले दिन की तुलना में जल्दी बेहतर महसूस करने लगता है। माइक्रोग्रैविटी में शरीर में कई बदलाव होते हैं, जैसे तरल पदार्थ का स्थानांतरण , हृदय गति में परिवर्तन। साथ ही संतुलन बनाने के लिए अभ्यास करना होता है। बावजूद इसके वह इस बात से हैरान हुए कि हमारा शरीर कितनी तेजी से नए वातावरण में खुद को ढाल लेता है। जब 28 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात हो रही थी तब उनको स्पेस स्टेशन पहुंचे हुए बमुश्किल 72 घंटे हुए थे। ऐसे में कैमरे के सामने स्थिर रहने के लिए उनको अपने पैर बांधने पड़े तब बात कर पाए।

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फोटोग्राफी का शौक अंतरिक्ष में भी रहा, बनाया टाइमलैप्स

शुभांशु शुक्ला को स्पेस फोटोग्राफी का शौक है। स्पेस में रहने के दौरान भी उन्होंने इस शौक को बनाए रखा। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक शॉर्ट वीडियो जारी किया। यह टाइमलैप्स है जो उन्होंने स्पेस क्राफ्ट की खिड़की से बनाया। अपने संदेश में कहा कि ‘वीडियो में आपको जो बैंगनी रंग की चमक दिख रही है, वह पूरे देश में चल रहे तूफानों में हो रही बिजली है। जब रोशनी कम हो जाती है और एक गहरा क्षेत्र दिखाई देता है, वह हिमालय है। जैसे ही हम इसे पार करते हैं, रोशनी आने लगती है, क्योंकि आप अंतरिक्ष में सूर्योदय देख रहे हैं। बैकग्राउंड में तारों को भी ध्यान से देखें।’ उन्होंने लिखा कि यह सचमुच प्राकृतिक तत्वों का एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला नृत्य है, जो इसे एक खूबसूरत नजारा बना देता है। दुर्भाग्य से, मैं मानसून के मौसम में ऊपर था और आसमान में ज्यादातर बादल छाए हुए थे, फिर भी मैं भारत के कुछ शॉट्स लेने में कामयाब रहा, जिनमें से एक आप देख रहे हैं।

Deep Pandey

लेखक के बारे में

Deep Pandey
दीप नरायन पांडेय, डिजिटल और प्रिंट जर्नलिज्म में 13 साल से अधिक का अनुभव। यूपी के लखनऊ और वाराणसी समेत कई जिलों में पत्रकारिता कर चुके हैं। लंबे समय तक प्रिंट मीडिया में कार्यरत रहे। वर्तमान में लाइव हिन्दुस्तान की यूपी टीम में हैं। राजनीति के साथ क्राइम और अन्य बीटों पर काम करने का अनुभव। और पढ़ें
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