अमरोहा की धरती ने हर युग में महान हस्तियों को पोषित किया : हाशमी
Amroha News - अमरोहा, संवाददाता। अंजुमन तरक्की उर्दू के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में मशहूर शायर, लेखक और साहित्यकार वाहिद अमरोहवी का स्वागत किया गया। उन्होंने क

अंजुमन तरक्की उर्दू के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में मशहूर शायर, लेखक और साहित्यकार वाहिद अमरोहवी का स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा उस सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है, जो विभिन्न राष्ट्रों और सभ्यताओं के एकीकरण से अस्तित्व में आई है। 13वीं से 17वीं सदी तक उर्दू ने भारत की हर भाषा को अपना स्रोत बनाकर सांस्कृतिक इकाई के रूप में अनेकता में एकता को प्रतिबिंबित किया। मुख्य वक्ता डा.सिराजुद्दीन हाशमी ने कहा कि अमरोहा की धरती ने हर युग में महान हस्तियों को पोषित किया है। वाहिद अमरोहवी भी उनमें से एक हैं, जिन्होंने जीवनभर उर्दू साहित्य की सेवा की। डा.सिराजुद्दीन हाशमी ने कहा कि उर्दू इंडो-आर्यन भाषा है, जो मिश्रित साहित्यिक परंपरा और संस्कृति से समृद्ध है। सूफियों के हुजरों में पली-बढ़ी यह भाषा, लोक बोली के साथ मिलकर जब भारतीय भाषा का रूप धारण कर लेती है, तो रचित साहित्य में मिश्रित रूप का सृजन करती है। कुली कुतुब शाह से लेकर उत्तर में आदिल शाह तक, अमीर खुसरो से लेकर वली, मीर, नजीर अकबराबादी, अकबर इलहाबादी, अल्लामा इकबाल, प्रेम चंद, कुर्रतुलऐन हैदर और इंतिजार हुसैन तक अनगिनत लेखकों ने उर्दू को परवान चढ़ाया। वे उस संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे उर्दू भाषा विकसित हुई। उर्दू सभ्यता वास्तव में उसी भारतीय सभ्यता की देन है, इसे एक ही सिक्के के दो पहलू माना जा सकता है। अंत में वाहिद अमरोहवी ने अंजुमन तरक्की उर्दू का आभार जताते हुए कहा कि हम सभी को उर्दू के अस्तित्व और संरक्षण व इस भाषा की पहुंच की जिम्मेदारी लेनी होगी। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह आवश्यक है कि अधिक से अधिक लिखित कार्य उर्दू लिपि में किया जाए। ताकि वर्तमान पीढ़ी इस भाषा से परिचित हो। इस दौरान अफसर शाह खान एडवोकेट, दिलशाद खान, शहजाद अब्बासी, मुरसलीन खान, इरफान अल्लाह, जिया-उल-नबी, मौलाना अमजद अली, निहाल खान आदि मौजूद रहे।
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