हम खुली आंखों से भी करते हैं दीदारे रजा...
इमाम रजा अलैहिस्सलाम की विलादत पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अजाखाना मोहम्मद यूसुफ मरहूम में शायरों ने कलाम पेश...
इमाम रजा अलैहिस्सलाम की विलादत पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अजाखाना मोहम्मद यूसुफ मरहूम में शायरों ने कलाम पेश किए। शाह विलायत एजुकेशनल ग्रुप की ओर से हजरत इमाम अली रजा अलैहिस्सलाम की विलादत के सिलसिले में सोमवार की रात मंडी चौब स्थित अजाखाना मरहूम मौहम्मद यूसुफ में महफिल का आयोजन किया गया। जिसकी सदारत मौलाना कौसर अब्बास ने की और निजामत डा. मुबारक अमरोहवी ने की। कार्यक्रम की शुरुआत तिलावते कलामे पाक से मौलाना मंजर अब्बास व नाते पाक से कमाल हैदर कमाल अमरोहवी ने किया। मसनद डा. नाशिर नकवी, मौलाना शादाब हैदर रहे।
प्रोफेसर नाशिर नकवी ने कहा...आप हैं मालिक व मुखतारे जमाना मौला, जाने क्यों लोग गरीबुल गुरबा कहते हैं। शाने हैदर बेबाक यूं नमूदार हुए...किसी गरीब के मदफन का फैज है जारी, के अर्जे तूस नमूना बनी है जन्नत का।नौशा अमरोहवी ने पढ़ा...पुतलियों पर करके दम नादे अली शाम व सहर,हम खुली आंखों से भी करते हैं दीदारे रजा। रफी सिरसिवी ने अकीदत यूं पिरोई...आंगन में यह नफरत की फसीले नहीं उठें,माहौल जो बच्चों को मिले आपके घर का। डा. लाडले रहबर ने यूं फरमाया...जिन्हे तलाश है तलाशे दुनिया में हक परस्तों की, वो लोग ग़ौर से तारीखे करबला देखें।लियाक़त अमरोहवी ने पढ़ा...खुदा है नफ़स को उनके खरीदने वाला, यही वो हैं जो रज़ाए खुदा पे शाकिर हैं। पंडित भुवन अमरोहवी ने अक़ीदत यूं बयां की...महफिल सजी हुई है जो यह मंडी चौब में, मिदहत भी होगी आज खुलूस व वफ़ा के साथ।इनके अलावा अशरफ फराज , ताजदार अमरोहवी, नजमी अमरोहवी, सरफराज अमरोवी शादाब अमरेाहवी, अर्श अमरोहवी आदि शायरों ने कलाम पेश किया।कार्यक्रम में सैयद अबुल हसनैन, हाजी नसीर हसन, हाजी शमीम हसन, सलीम इफतेखार, हैदर जिया, मेराज रजा,महफूज अली सिद्दीकी, रजा कमाल, शुजाअत अली, हाजी वसीम हैदर, डॉ शारिक, हैदर जिया , आले मुस्तफ़ैन वगैरह मौजूद रहे।मौलाना कौसर अब्बास ने दुआ कराई। कन्वीनर मुजाहिद अब्बास सईद ने शायरों व हाज़रीन का शुक्रिया अदा किया।