इस बार 165 साल बाद श्राद्ध के एक माह बाद शुरू होंगे नवरात्र
इस बार 165 वर्ष बाद अधिक मास के कारण श्राद्ध के एक माह बाद नवरात्र शुरू होंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार अश्विन मास में 16 श्राद्ध के बाद शुक्ल पक्ष से नवरात्र प्रारंभ होते हैं, लेकिन 165 वर्ष बाद इस...
इस बार 165 वर्ष बाद अधिक मास के कारण श्राद्ध के एक माह बाद नवरात्र शुरू होंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार अश्विन मास में 16 श्राद्ध के बाद शुक्ल पक्ष से नवरात्र प्रारंभ होते हैं, लेकिन 165 वर्ष बाद इस बार दो अश्विन मास पड़ रहे हैं। जिनमें से शुरू के 15 दिन और अंतिम 15 दिन शुद्ध अश्विन माह होगा। इसके अलावा बीच वाले 30 दिन (18 सितंबर से 16 अक्टूबर) तक पुरुषोत्तम मास होगा। जिसके आधार पर पितृपक्ष दो सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा से 17 सितंबर तक रहेगा। जबकि इसके एक महीने बाद 17 से 25 अक्टूबर तक नवरात्र रहेंगे।
प्रत्येक 32 माह बाद आता है पुरुषोत्तम मास
गंगेश्वरी निवासी पंडित जगदीश भारद्वाज का कहना है कि प्रत्येक 32 माह बाद एक पुरुषोत्तम मास आता है। पंडित जगदीश बताते हैं कि 12 मास में केवल माघ ऐसा महीना है। जो द्वापर युग के बाद अधिक मास के रूप में दोबारा नहीं आया। मान्यता है कि द्वापर युग में माघ मास अधिक मास के रूप में आया था। जिसके बाद महाभारत जैसा युद्ध हुआ था। जिसमें बहुत बड़ा नरसंहार हुआ था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि माघ के रूप में पुरुषोत्तम मास के आने से जनधन की हानि तथा बड़े बदलाव की संभावना रहती है।
ऐसे हुई पुरुषोत्तम मास की उत्तपत्ति
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप असुर ने घोर तपस्या की। जिससे खुश होकर ब्रह्मा जी ने उसे वरदान मांगने को कहा। हिरण्यकश्यप ने कहा कि मैं न दिन में मरूं, न रात में। आपके बनाए हुए 12 मास में भी मेरी मृत्यु न हो। इसके अलावा पृथ्वी, आकाश और पाताल में भी मैं अमर रहूं। इंसान, जानवर, भगवान अस्त्र, शस्त्र से भी मेरी मौत न हो। घर और बाहर भी मैं न मरूं। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया। जिसके बाद हिरण्यकश्यप अहंकार में चूर हो गया तथा लोगों पर अत्याचार करने लगा। ब्रह्मा जी को अपने वरदान देने की भूल याद आई। उन्होंने भगवान विष्णु से इसका हल पूछा। जिसपर भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने के लिए 13वें मास का निर्माण किया। उसकी समय से पुरुषोत्तम मास 32 महीने के बाद आता है।