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Hindi News उत्तर प्रदेश अमरोहाश्रीमद् भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग

श्रीमद् भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग

हसनपुर। क्षेत्र के गांव हथियाखेड़ा के चामुंडा मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथावाचक ब्रजराज बिहारी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह...

हसनपुर। क्षेत्र के गांव हथियाखेड़ा के चामुंडा मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथावाचक ब्रजराज बिहारी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह...
1/ 2हसनपुर। क्षेत्र के गांव हथियाखेड़ा के चामुंडा मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथावाचक ब्रजराज बिहारी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह...
हसनपुर। क्षेत्र के गांव हथियाखेड़ा के चामुंडा मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथावाचक ब्रजराज बिहारी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह...
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हिन्दुस्तान टीम,अमरोहाWed, 04 Nov 2020 12:33 PM
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हसनपुर। क्षेत्र के गांव हथियाखेड़ा के चामुंडा मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथावाचक ब्रजराज बिहारी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। इस दौरान ओंकार सिंह, पुरुषोत्तम सिंह, कमल सिंह, चंद्रपाल सिंह, टेकचंद सिंह एडवोकेट, विक्रम सिंह, डोरी सिंह आदि मौजूद रहे।

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