बीबी सकीना की शहादत पर जगह जगह मजलिस और जुलूस
शहीदाने कर्बला इमाम हुसैन की लाडली बेटी सकीना की शहादत के गम में अशरा ए चेहल्लुम के तीसरी दिन मजलिस, मातम व जुलूसों का सिलसिला रहा। जगह जगह अंजुमनों ने मातम बरपा किया। इसी सिलसिले मे अशरे की तीसरी...
शहीदाने कर्बला इमाम हुसैन की लाडली बेटी सकीना की शहादत के गम में अशरा ए चेहल्लुम के तीसरी दिन मजलिस, मातम व जुलूसों का सिलसिला रहा। जगह जगह अंजुमनों ने मातम बरपा किया। इसी सिलसिले मे अशरे की तीसरी मजलिस अज़ाखाना अलामदार अली मोहल्ला गुज़री मे बरपा हुई।
इसमें सोज़खानी हसन ईमाम ने की जबकी मजलिस को मौलाना वसी असगर ने खिताब किया। मौलाना ने कहा कि सबसे पहले किसी को अपना बनाने के लिए इमाम हुसैन की तरह से साबिर और सच्चा किरदार वाला बनना होगा। तभी तो इमाम हुसैन ने हक व बातिल की जंग में हक पर चलते हुए अपनी व अपने अजीजों अंसार की कुर्बानी देकर दीने इस्लाम को बचाया। आगे कहा कि कर्बला इज्जतों का रास्ता है। इमाम हुसैन के दर पर सभी को इज्जत मिलती है। यहां पर न तो कोई छोटा है न बड़ा। इमाम हुसैन के दर पर सभी धर्मों के लोग अकीदत के फूल चढ़ाते हैं, क्योंकि दुनिया जानती है कि चौदह सौ वर्ष पूर्व इमाम हुसैन ने कर्बला में कुर्बानी पेश कर समूची मानव जाति की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन की बेमिसाल कुर्बानी का ही नतीजा है कि आज दुनिया में इंसानियत जिंद़ा है। नबी का दीन जिंदा है। वही मोहल्ला शफातपोता स्थित अज़ाखाने में मजलिस के बाद शबीहे ताबूत जनाबे सकीना बेटी हज़रत ईमाम हुसैन अ.स व अलम बरामद किए गए। जिसमें अज़ादारों ने मातम कर हज़रत ईमाम हुसैन अ.स को उनकी लाडली बेटी सकीना का पुरसा दिया।