बेटी की मौत से मजदूर को लगा सदमा, अब परिवार का पेट भरने की चिंता
लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा प्रकाश व उसके परिवार वालों पर पड़ रहा है। उसे अपनी बेटी की मौत का गहरा सदमा लगा है लेकिन अब उसे अपने परिवार के पेट भरने की चिंता हो रही है। दरअसल उसकी बेटी की मौत लॉकडाउन...
लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा प्रकाश व उसके परिवार वालों पर पड़ रहा है। उसे अपनी बेटी की मौत का गहरा सदमा लगा है लेकिन अब उसे अपने परिवार के पेट भरने की चिंता हो रही है। दरअसल उसकी बेटी की मौत लॉकडाउन के समय में ही हुई है। चिकित्सकों ने उसे कोरोना आशंकित बताया था। हालांकि उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। प्रकाश सब्जी बेचकर गुजारा करने की कोशिश कर रहा है लेकिन लोग उससे सब्जी खरीदने से भी घबरा रहे हैं। कुल मिलाकर वह अपने परिवार का पेट भरने के लिए भी रुपये नहीं जुटा पा रहा है।
शहर के अंबेडकर नगर मोहल्ला निवासी प्रकाश मजदूरी करके अपने परिवार का किसी तरह पेट भर रहा था। उसकी पुत्री रोशनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। उसके गले में दर्द था साथ ही उसे सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। जिला अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हुई तो चिकित्सकों ने उसे कोरोना आशंकित बता दिया था। जिस पर प्रशासन ने रोशनी के शव को गड्ढा खोदकर दबवा दिया था तथा उसके परिवार को क्वारंटाइन कर दिया था। पुत्री की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर प्रकाश व उसके परिवार वालों को घर भेज दिया था। लॉकडाउन की वजह से उसकी मजदूरी बंद हो गई तो उसने सब्जी का ठेला लगाना शुरू कर दिया। कोरोना से घबराए लोग उससे सब्जी भी नहीं खरीद रहे हैं। जिसके कारण वह दिनभर में अपने परिवार के पेट भरने लायक भी रूपये नहीं जुटा पा रहा है।
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