महफिल में गजले सुनाकर शायरों ने लूटी वाहवाही
Amroha News - अमरोहा। अदबी संस्था बज्मे नाजिम कुरैशी के संयोजन में शहर के मोहल्ला सराय कोहना में गजल की महफिल हुई। शायरों ने एक से बढ़कर एक गजल सुनाकर समा बांध दिया

अदबी संस्था बज्मे नाजिम कुरैशी के संयोजन में शहर के मोहल्ला सराय कोहना में गजल की महफिल हुई। शायरों ने एक से बढ़कर एक गजल सुनाकर समा बांध दिया। श्रोताओं की खूब वाहवाही हासिल की। शनिवार रात सजाई गई महफिल की शुरुआत में जीशान शौक ने यूं कहा...अब तो आजा के मेरे सांस भी कम होने लगे, तेरे बीमार पे यासीन के दम होने लगे। डा. नासिर अमरोहवी यूं नमूदार हुए...समझ सकी न किसी तौर हाल दिल मेरा, वो एक लड़की परिंदों की बोली जानती थी। शीबान कादरी ने फरमाया...लोग, साहिल, दरख्त, नांव, भंवर, सारा मंजर लिपट गया मुझसे। अनीस अमरोहवी ने कहा...होना खफा तो होना जरा देख भाल के, रखा है तेरे सारे खतों को संभाल के। मेहरबान अमरोहवी ने सुनाया...एक तरफ शहर भर के सारे महल, मेरा कच्चा मकान एक तरफ। मोहम्मद कासिम ने कहा...सरफराजी मिलेगी यकीनन उसे, उनके किरदार में जो भी ढल जाएगा। महफिल में इनके अलावा नाजिश मुस्तफा, ताजदार अहमद ,माइल आफंदी, मकारिम अली, जर्रार अहमद, फैज आलम, कोनेन असगर, गुलरेज अब्बासी,नवाब अंसारी ने भी अपना कलाम पेश किया। अध्यक्षता जीशान अहमद शौक व संचालन शाह फजल ने किया। बतौर अतिथि समाजसेवी महबूब हुसैन जैदी रहे।
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