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अमरोहा में टीबी के इलाज को लगानी पड़ रही पांच किमी की दौड़

टीबी क्लीनिक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी क्लीनिक में नहीं बैठ रहे हैं। महज दो कमरे के विभाग के कार्यालय में...

अमरोहा में टीबी के इलाज को लगानी पड़ रही पांच किमी की दौड़
हिन्दुस्तान टीम,अमरोहाFri, 18 Jun 2021 05:31 PM
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अमरोहा। संवाददाता

टीबी क्लीनिक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी क्लीनिक में नहीं बैठ रहे हैं। महज दो कमरे के विभाग के कार्यालय में वर्षों से जमे दर्जनभर कर्मचारियों को 22 कमरे का टीबी क्लीनिक रास नहीं आ रही है। नतीजतन, जिलेभर से इलाज की उम्मीद लेकर टीबी क्लीनिक पहुंच रहे मरीजों को अपना मर्ज दिखाने के लिए सीएमओ कार्यालय के बराबर में बने विभाग के कार्यालय तक तकरीबन पांच किलोमीटर लंबी दौड़ लगानी पड़ रही है।

वर्ष 2025 तक टीबी के देश से खात्मे की मंशा के तहत जानलेवा बीमारी की जांच व इलाज पर सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। इसी मंशा के तहत प्रदेश में जिलेवार टीबी क्लीनिक की तर्ज पर अमरोहा में भी टीबी क्लीनिक को इकाई के रूप में स्थापित किया गया है। ताकि टीबी रोगियों को एक ही छत के नीचे चिकित्सक की परामर्श से लेकर जांच व इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा सके। लेकिन करोड़ों रुपये की लागत से बने अत्याधुनिक जांच सुविधाओं वाले जिले के टीबी क्लीनिक को निर्माण के दो साल बाद भी चिकित्सक व स्टाफ का इंतजार है।मरीजों की परेशानी से दूर विभाग के जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी क्लीनिक में नहीं बैठ रहे हैं। क्लीनिक में इलाज कराने आ रहे मरीज चिकित्सक का परामर्श लिए बिना ही दवाएं लेकर लौटने को मजबूर हैं। मुन्नी देवी राजकीय महिला चिकित्सालय के सामने विभाग के महज दो कमरे के कार्यालय में वर्षों से जमे दर्जनभर कर्मचारियों को 22 कमरे का टीबी क्लीनिक रास नहीं आ रही है। नतीजतन, जिलेभर से इलाज की उम्मीद लेकर टीबी क्लीनिक पहुंच रहे मरीजों को अपना मर्ज दिखाने के लिए सीएमओ कार्यालय के बराबर में बने विभाग के कार्यालय तक तकरीबन पांच किलोमीटर लंबी दौड़ लगानी पड़ रही है। अव्यवस्थाओ के बीच जानलेवा बीमारी का नासूर बढ़ता जा रहा है। विभाग के आला अफसरों के लचर रवैये के कारण सरकार की मंशा को झटका लगा है।

22 कमरों में महज पांच, दो कमरों में एक दर्जन कर्मचारी

अमरोहा। डिजिटल एक्स-रे, सीबीनेट व माइक्रोस्कोप जैसी सुविधाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर बना 22 कमरों का टीबी क्लीनिक दो एसटीएलएस, एक-एक फार्मेसिस्ट, महिला कर्मचारी और एक्स-रे तकनीशियन समेत महकमे के महज पांच मुलाजिमों के भरोसे चल रही है। दूसरी ओर महज दो कमरों के विभाग के कार्यालय में एक डाटा एंट्री ऑपरेटर, एक एकाउंटेंट, दो पीपीएम, एक डीपीसी, दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, दो एसटीएलएस समेत दर्जनभर कर्मचारियों को नियमविरुद्ध तरीके से तैनाती मिली हुई है। वर्षों से कार्यालय में जमे कर्मचारी टीबी रोगियों की देखभाल के बजाय विभागीय अफसरों की जी हुजूरी कर रहे हैं।

3000 टीबी रोगियों पर महज एक चिकित्सक

अमरोहा। जिला क्षय रोग अधिकारी को छोड़कर विभाग के पास जानलेवा बीमारी का कोई चिकित्सक ही उपलब्ध नहीं है। जिले के 3000 से ज्यादा क्षय रोगियों पर इकलौते चिकित्सक टीबी क्लीनिक के बजाय सीएमओ कार्यालय के बराबर में बने दो कमरों के विभागीय कार्यालय में बैठकर सेवाएं दे रहे हैं। जबकि शासन स्तर से टीबी रोगियों को एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं मुहैया कराने के मकसद से जिला क्षय रोग अधिकारी समेत समस्त स्टाफ को अनिवार्य रूप से टीबी क्लीनिक में तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। अफसरों के ढिलमुल रवैये के कारण मरीजों को अपना मर्ज दिखाने के लिए क्लीनिक से पांच किलोमीटर दूर टीबी कार्यालय तक की दौड़ लगानी पड़ रही है।

कुछ टीबी कर्मचारियों को कोविड ड्यूटी पर लगाया गया था। अब जिले में संक्रमण की रफ्तार धीमी है। जल्द ही जिला क्षय रोग अधिकारी व कर्मचारियों को टीबी क्लीनिक से सम्बद्ध किया जाएगा।

डा.सौभाग्य प्रकाश, सीएमओ

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