फायर ब्रिगेड के पास पानी का इंतजाम ही नहीं, कैसे बुझेगी आग
आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए दमकल के पास पानी का इंतजाम नहीं है। शहर में 38 में से 18 फायर हाइड्रेंट सड़कों के नीचे दब गए हैं। जबकि, 20 में पानी का प्रेशर नहीं आता। आग लग जाने पर नलकूपों से पानी...
आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए दमकल के पास पानी का इंतजाम नहीं है। शहर में 38 में से 18 फायर हाइड्रेंट सड़कों के नीचे दब गए हैं। जबकि, 20 में पानी का प्रेशर नहीं आता। आग लग जाने पर नलकूपों से पानी भरने को भागना पड़ता है। नलकूपों पर जनरेटर की सुविधा नहीं है। बिजली आने पर ही नलकूप चलाए जा सकते हैं।
आग लगने की घटनाओं को देखते हुए अमरोहा शहर और जिला बेहद संवेदनशील है। या यूं कहें कि शहर आग के ढेरों पर बैठा है तो गलत नहीं होगा। क्योंकि यहां पर कॉटन वेस्ट कारखानों में आए दिन आग लगती रहती है। अब गर्मी शुरू हो गई है। इस मौसम में सबसे अधिक आग लगती है। आग का एक झोंका लाखों का माल जलाकर राख कर देता है। गर्मी में आग की घटनाओं पर काबू पाने को फायर ब्रिगेड के पास पानी का इंतजाम नहीं है। शहर में फायर स्टेशन के कुल 38 फायर हाइड्रेंट हैं, जिनमें 18 सड़कों में दब गए तथा 20 में पानी का प्रेशर नहीं आता है। आग लग जाने पर दमकलकर्मी पानी भरने के लिए नलकूपों की तरफ भागते हैं। रही बात नगर पालिका के जो भी नलकूप हैं, उन पर जनरेटर सुविधा नहीं है। बिजली आने पर ही चल सकते हैं। पानी के बगैर दमकल आग की घटनाओं पर किस तरह काबू पाएगी, यह बड़ा सवाल है। शहर में कॉटनवेस्ट के छोटे बड़े तकरीबन 250 कारखाने हैं। कारखानों में कच्चा माल हो पक्का, बेहद ज्वलनशील होता है। जरा सी चिंगारी गिरने पर बड़ा रूप धारण कर लेता है। वैसे भी कॉटनवेस्ट कारखानों में आए दिन आग लगती रहती है। आग की बड़ी घटना हो जाने पर काबू पाने के लिए गजरौला स्टेशन के साथ ही दूसरे जिलों से दमकल बुलाने पड़ जाते हैं।