ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश अमरोहा20 साल बाद अमरोहा की सियासी जमीन पर फिर दौड़ा हाथी

20 साल बाद अमरोहा की सियासी जमीन पर फिर दौड़ा हाथी

20 साल बाद अमरोहा की सियासी जमीन पर बसपा का हाथी एक बार फिर दौड़ता नजर आया। आजादी के बाद दूसरी बार किसी बसपा प्रत्याशी को यहां से संसद में जनता की नुमाइंदगी करने का मौका मिल सका। 1999 में आखिरी बार...

20 साल बाद अमरोहा की सियासी जमीन पर फिर दौड़ा हाथी
हिन्दुस्तान टीम,अमरोहाFri, 24 May 2019 11:20 AM
ऐप पर पढ़ें

20 साल बाद अमरोहा की सियासी जमीन पर बसपा का हाथी एक बार फिर दौड़ता नजर आया। आजादी के बाद दूसरी बार किसी बसपा प्रत्याशी को यहां से संसद में जनता की नुमाइंदगी करने का मौका मिल सका। 1999 में आखिरी बार राशिद अल्वी ने अमरोहा सीट पर बसपा के टिकट से चुनावी रण को फतह करने में कामयाब हुए थे।

अमरोहा में 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के लिए बड़ी सौगात साथ लेकर आया। पूरे 20 साल बाद बसपा को यहां राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का मौका मिला। साल 1999 में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े राशिद अल्वी के बाद दूसरी बार कोई बसपा प्रत्याशी यहां जीत दर्ज कर सका है। आजादी के बाद से अब तक हुए कुल 17 चुनावों में बसपा यहां दो बार ही जीत का परचम लहरा सकी है। साल 1998 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी आले हसन जहां इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे थे तो वहीं 1996 के चुनाव में राशिद अल्वी तीसरे और साल 1991 के चुनाव में महेंद्र सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 1999 के बाद से बसपा प्रत्याशी हर चुनाव में इस सीट पर अपनी जीत के लिए संघर्ष करते नजर आए लेकिन कामयाबी नहीं पा सके। 2014 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी फरहत हसन जहां तीसरे स्थान पर रहे, तो वहीं 2009 में भी बसपा प्रत्याशी महमूद मदनी को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। इसके पहले साल 2004 के आम चुनाव में बसपा प्रत्याशी आले हसन भी तीसरे स्थान पर ही रहे थे। लगातार मिल रही इस शिकस्त के चलते यहां बसपा का कैडर भी लगातार कमजोर हो रहा था, जिसे इस जीत के बाद बड़ी राहत मिली है।

माया की सभा तय कर गई दानिश की जीत

अमरोहा। मौजूदा चुनाव में बसपा प्रत्याशी दानिश अली की जीत में पार्टी सुप्रीमो मायावती की सभा की भी अहम भूमिका रही। उनकी सभा में उमड़ी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ ने विरोधियों का भी पसीना निकाल दिया था। खुद उन्होंने दानिश के पक्ष के साथ अपने संबोधन को लगातार जोड़े रखा था, जिससे शुरुआत में मुश्किल मानी जा रही उनकी जीत की राह आसान हो सकी।

हर राउंड में हाथी के जोर के आगे मुरझाया कमल

अमरोहा। मतगणना के हर राउंड में हाथी के जोर के आगे भाजपा का कमल मुरझाया नजर आया। किसी भी राउंड में भाजपा प्रत्याशी बढ़त नहीं बना सके। राउंड दर राउंड उनकी हार का अंतर बढ़ता ही गया। एक बारगी उन्होंने इस अंतर को कुछ पाटने का प्रयास भी किया लेकिन नाकाम रहे। अगले ही राउंड में बसपा प्रत्याशी ने फिर दमदारी के साथ अपनी बढ़त को बरकरार रखा। कुल मिलाकर पूरी मतगणना के दौरान बसपा प्रत्याशी का पीछा करने में भाजपा प्रत्याशी चौधरी कंवर सिंह तंवर का पसीना छूटता नजर आया।

सपा के साथ ने दिया बसपा को जीत का तोहफा

अमरोहा। मौजूदा चुनाव में सपा का साथ यहां बसपा प्रत्याशी के लिए पूरी तरह मुफीद साबित हुआ। स्थानीय राजनीतिक जानकारों की माने सपा के कैडर वोट के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं ने उनके पक्ष में एकजुट होकर मतदान किया। इसके अलावा बसपा के कैडर वोट माने जाने वाले दलित मतदाताओं ने भी इस एकजुटता को जारी रखा और नतीजा सुखद परिणाम के रूप में सामने आया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें