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सब्जी बेचकर परिवार की गाड़ी चला रहे हैं निजी स्कूलों के शिक्षक

प्रतिबंध के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद होने से भुखमरी के कगार पर खड़े निजी स्कूलों के शिक्षक खेती समेत अन्य क्षेत्रों में रोजगार के नए विकल्प तलाश रहे...

सब्जी बेचकर परिवार की गाड़ी चला रहे हैं निजी स्कूलों के शिक्षक
हिन्दुस्तान टीम,अंबेडकर नगरSat, 25 Jul 2020 11:11 PM
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जहांगीरगंज। प्रतिबंध के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद होने से भुखमरी के कगार पर खड़े निजी स्कूलों के शिक्षक खेती समेत अन्य क्षेत्रों में रोजगार के नए विकल्प तलाश रहे हैं। विद्यालयों के प्रबंध तंत्र की ओर से निजी शिक्षक-शिक्षिकाओं को वेतन न देने से इनके सामने परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया है।कोरोना के चलते मार्च माह से ही स्कूल-कालेज पूरी तरह से बंद चल रहे हैं। सरकारी अध्यापकों को तो सरकार पूरी तनख्वाह दे रही है जबकि प्राइवेट स्कूल के निजी शिक्षक-शिक्षिकाओं को वेतन स्कूल संचालकों की ओर से नहीं दिया जा रहा है, जिससे उनका जीवन यापन संकट में आ गया है। स्कूल कब खुलेंगे यह भी अभी हालात के ऊपर निर्भर है। ऐसे में जिन शिक्षकों के पास अपनी खेती है तो वह सब्जी आदि उगाना शुरू कर दिए हैं। जिनके पास खेती नहीं है वह सब्जी बेच रहे हैं। कुछ लोग अन्य विकल्प तलाश रहे हैं। वे किसी तरह से परिवार का खर्च निकालने की जुगत में हैं। कुछ तो रोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं। ा क्षेत्र के एक निजी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि चार हजार रुपये मानदेय से महीने का खर्च चलता था। अब वह भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में सब्जी बेचकर किसी तरह परिवार की गाड़ी खींची जा रही है। निजी स्कूल के शिक्षक स्वरोजगार तलाशने में जुट गए हैं। उन्हें पता है कि अगर कोरोना का संक्रमण इसी तरह रहा तो स्कूल खुलना भी मुश्किल है। ऐसे में परिवार की गाड़ी चलाने के लिए कुछ तो करना ही होगा। तहसील क्षेत्र में कई शिक्षक तो मनरेगा मजदूरी भी कर रहे हैं। फिलहाल अभी तक सरकार की तरफ से इनके लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।शिक्षकों के लिए आर्थिक पैकेज दे सरकार: उदयराजआलापुर तहसील क्षेत्र में लगभग ढाई हजार निजी टीचर मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष उदयराज मिश्र का कहना है कि लोक कल्याणकारी राज्य में सर्वजन सुखाय की भावना राजसत्ता का परम ध्येय होनी चाहिए किन्तु कदाचित उत्तर प्रदेश सरकार जहां प्रवासी मजदूरों को फ्री राशन, फ्री सिलेंडर और प्रति व्यक्ति हजार रुपये प्रदान कर रही है वहीं वित्तविहीन शिक्षकों की स्थिति मनरेगा श्रमिकों से भी बदतर हो गयी है। न प्रबन्धन वेतन दे रहा है और न सरकार कोई पैकेज। सरकार को अविलम्ब वित्तविहीन शिक्षकों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करना व्यापक जनहित में होगा।

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